पाठ बूंद बूंद से ही घड़ा भरता है के अनुसार लेखक कुबेर सा समृद्ध कब हो उठता है
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¿ पाठ बूंद-बूंद से ही घड़ा भरता है के अनुसार लेखक कुबेर सा समृद्ध कब हो उठता है ?
✎... ‘बूंद-बूंद से घड़ा भरता है’ पाठ के अनुसार लेखक कुबेर सा तब समृद्ध हो जाता है, जब वह छोटी से छोटी बचत करने की आदत अपने अंदर विकसित कर लेता है। पाठ में बताया गया है, कि मनुष्य के अंदर जब मितव्ययता की आदत अपनाने से मनुष्य के अंदर बचत की प्रवृत्ति विकसित होती है। बूंद-बूंद से घड़ा भरने से आशय थोड़ी-थोड़ी बचत करने से है। बचत की आदत से अपनाने से धन संचय करने से कुबेर जैसा समृद्ध हुआ जा सकता है।
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