पाठ काले मेघा पानी दे ओर कहानी पहलवान की ढोलक ग्रामीण जीवन को उकेरती है।दोनो पाठो की आंचलिक जीवन शैली पर विचार प्रस्तुत करे
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¿ पाठ काले मेघा पानी दे ओर कहानी पहलवान की ढोलक ग्रामीण जीवन को उकेरती है।दोनो पाठो की आंचलिक जीवन शैली पर विचार प्रस्तुत करे ?
✎... ‘काले मेघा पानी दे’ और ‘पहलवान की ढोलक’ दोनों कहानियां ग्रामीण जीवन को उकेरती हैं। दोनों कहानियां ग्रामीण जीवन की पृष्ठभूमि से संबंधित रही हैं। पहलवान की ढोलक कहानी जहाँ एक ऐसे पहलवान की कथा है, जो अपनी पहलवानी के कारण राजा को प्रिय हो जाता है और वह अपना गाँव छोड़कर राजा के दरबार में रहने लगता है। लेकिन राजा की मृत्यु के बाद उसकी दुर्दशा हो जाती है और उसे वापस अपने गाँव आना पड़ता है। राजा के दरबार में सुख-सुविधाओं वाला जीवन बिताने के कारण वो गाँव के कठिन जीवन में सही सामंजस्य नही बिठा पाता। गाँव में उसे अनेक तरह की विपत्तियों का सामना करना पड़ता है और अंततः उसे अपने दोनों बेटों सहित स्वयं अपने प्राण भी गवांने पड़ जाते हैं। इस कहानी में पहलवानी जैसी कला का चित्रण किया गया है, जो भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत लोकप्रिय रही है।
काले मेघा पानी दे पानी भी ऐसे ग्रामीण बच्चों की कहानी है, जो आस्था और विज्ञान के द्वंद को दर्शाती हैं। जहाँ पर कहानी में विज्ञान का अपना अलग तर्क है, वही विश्वास का भी अपना अलग तर्क है। विज्ञान और आस्था के बीच द्वंद चलता रहता है। इस कहानी में भी ग्रामीण आंचलिक सुंदरता का वर्णन किया गया है। इस कहानी में भी किशोर बच्चों की टोली, जिसे इंदर सेना के नाम से जाना जाता है, के द्वारा ग्रामीण आंचलिक जीवन की सुंदरता का चित्रण किया गया है। गाँव में बच्चे कैसे धमाचौकड़ी मचाते है, और गाँव के बच्चों का जीवन कैसे उच्छृंखल होता है, वो इस कहानी के माध्मम से दर्शाया गया है।
इस तरह दोनों कहानियां ग्रामीण जीवन की सुंदरता और उसकी विसंगतियों को भारती हैं
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