पाठिका थी वह धुंधले परकाश की-
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उपर्युक्त काव्य पंक्तियों को पढ़कर हमारे मन में लड़की की जो छवि उभरती है वह कुछ इस प्रकार है
• लड़की अभी सयानी नहीं है।
• लड़की को दुनिया के उजले पक्ष की जानकारी तो है पर दूसरे पक्ष छल-कपट, शोषण आदि की जानकारी नहीं है।
• लड़की विवाह की सुखद कल्पना में खोई है।
• उसे केवल सुखों का अहसास है, दुखों का नहीं।
• उसे ससुराल की प्रतिकूल परिस्थितियों का ज्ञान नहीं है।
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