पं. दीनदयाल उपाध्याय के विचारों को विस्तार से लिखो।
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पण्डित दीनदयाल उपाध्याय ( जन्म: २५ सितम्बर १९१६–११ फ़रवरी १९६८) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चिन्तक और संगठनकर्ता थे। वे भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने भारत की सनातन विचारधारा को युगानुकूल रूप में प्रस्तुत करते हुए देश को एकात्म मानववाद नामक विचारधारा दी। वे एक समावेशित विचारधारा के समर्थक थे जो एक मजबूत और सशक्त भारत चाहते थे।राजनीति के अतिरिक्त साहित्य में भी उनकी गहरी अभिरुचि थी। उन्होंने हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं में कई लेख लिखे, जो विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए।
Explanation:
सन 1918 में जब उनके पिता की मृत्यु हुई, तब उनकी उम्र केवल ढाई साल थी. जिससे उनके परिवार का भरण पोषण बंद हो गया था. तब उनके नानाजी जी ने उनके परिवार को संभाला. उसके बाद उनकी माता की भी की बीमारी के चलते मृत्यु हो गई, जिससे दीनदयाल जी एवं उनके भाई दोनों अनाथ हो गए. किन्तु उनका पालन – पोषण उनके ननिहाल में बेहतर तरीके से हुआ. उनका ननिहाल फतेहपुर सीकरी के पास स्थित गाँव गुड की मंडी का था. जब वे केवल 10 वर्ष के थे, तब उनके नाना जी का भी देहांत हो गया था. इस तरह से उन्होंने बहुत छोटी सी उम्र में अपने परिवार को खो दिया था. अब उनका केवल एक ही सहारा था उनका भाई शिवदयाल.