पाठ पद और दोहे में संगत की विषय में कहा गया है उन पंक्तियों को खोजकर लिखिए
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Explanation:
पटना दरगाह में संगत के विषय में कहा गया है उन पतियों को कर लिखिए
पाठ ‘पद और दोहे’ में संगत के विषय में पंक्तियां इस प्रकार हैं रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि।
जहाँ काम आवै सुई, कहा करै तरवारि॥2॥
अर्थ: बड़े लोगों को छोटों का कभी अपमान नही करना चाहिये, अर्थात व्यक्ति कितना भी छोटा दिखाई पड़ता हो, समय आने पर वह भी किसी काम आ सकता है। अर्थात हर व्यक्ति का अलग महत्व है। जैसे जो काम सुई कर सकती है, वह काम तलवार नही कर सकती।
जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करि सकत कुसंग।
चन्दन विष व्यापत नहीं, लिपटे रहत भुजंग॥4॥
अर्थ: रहीमदास जी कहते हैं कि जिस व्यक्ति का स्वभाव अच्छा होता है, उसके ऊपर किसी भी तरह की बुरी संगत का कोई प्रभाव नहीं पड़ता, क्योंकि वह अपने आप में ही इतना दृढ़ होता है, बिल्कुल उसी तरह जिस तरह चंदन के पेड़ पर अनेक सांप लिपटे रहते हैं, लेकिन फिर भी उन सांपों के जहर का असर चंदन के पेड़ पर नहीं पड़ता और चंदन का पेड़ अपनी शीतलता प्रकट करता रहता है।
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