पाठ - दो बैलों की कथा
क- आद्यंत- ततृीय भाग
बोधात्मक प्रश्न
1- हीरा-मोती ने सााँड का मुकाबला कैसे किया?
2- मोती के पकडेजानेपर हीरा क्या सोचकर रुक गया?
3- हीरा-मोती केवाताालाप को संवाद रुप मेंललखिए।
4- कावयांश सेमुहावरेछााँट कर अर्ाललितेहुए अपनेशब्दों मेंवाक्य प्रयोग करें।
Answers
1.
हीरा-मोती ने सांड़ का संगठित होकर मुकाबला किया। सांड़ को भी संगठित शत्रुओं से लड़ने का तजुरबा न था। वह तो एक शत्रु से मल्लयुद्ध करने का आदी था। ज्यों-ही हीरा पर झपटा, मोती ने पीछे से दौड़ाया. सांड़ उसकी तरफ मुड़ा तो हीरा ने उसे रगड़ दिया। सांड़ चाहता था, कि एक-एक करके दोनों को गिरा ले, पर ये दोनों बैल भी उस्ताद थे उन्होंने सांड़ को कोई मौका न दिया। एक बार सांड़ झल्लाकर हीरा पर झपटा तो मोती ने बगल से आकर उसके पेट में सींग भोंक दिया। सांड़ क्रोध में आकर पीछे फिरा तो हीरा ने दूसरे पहलू में सींगे चुभा दिया। आखिरकार सांड़ जख्मी होकर भागा और हीरा-मोती ने दूर तक उसका पीछा किया, यहां तक कि सांड़ बेदम होकर गिर पड़ा, तब दोनों ने उसे छोड़ दिया।
2.
मोती के पकड़े जाने पर हीरा यह सोचकर रुक गया कि किसी मुसीबत में फंसेंगे तो दोनो फसेंगे। वे दोनों संगी साथी हैं, वे दोनों सुख दुख में हमेशा एक दूसरे के साथ रहे हैं, उन दोनों में एकता बहुत है इसलिए अपने साथी मोती को मुसीबत में देखकर हीरा यह सोचकर रुक गया कि फंसकर दोनो संकट का सामना मिलकर करेंगे। अपने साथी को अकेले मुसीबत में छोड़कर वह नहीं जा सकता।
3.
जब हीरा-मोती को खेत के मालिक द्वारा पकड़ लिया गया तो हीरा-मोती के बीच मूक भाषा में हुआ संवाद....
हीरा —अब नहीं रहा जाता मोती !
मोती — मुझे तो मालूम होता है कि प्राण निकल रहे हैं।
हीरा — आओ दीवार तोड़ डालें।
मोती — मुझसे तो अब कुछ नहीं होगा।
हीरा — बस इसी बूत पर अकड़ते थे! ,सारी अकड़ निकल गई।
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