पाठ द्वारा यह कैसे सिद्ध होता है कि − 'कैसी भी कठिन परिस्थिति हो उसका सामना तात्कालिक सूझबूझ और आपसी मेलजोल से किया जा सकता है।'अपने शब्दों में लिखिए।
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उत्तर :
गांधी जी को रात के अंधेरे में महिसागर नदी पार करनी थी। उनके साथ कुछ सत्याग्रही भी थे। अंधेरा इतना ज्यादा था था कि हाथ को हाथ नहीं सूझता था। थोड़ी देर में कई हज़ार लोग नदी के किनारे पर पहुंच गए। उन सबके हाथों में दीये थे। यही दृश्य नदी के दूसरे किनारे का भी था ।इस प्रकार सारा वातावरण दीयों की रोशनी से जगमगा उठा और महात्मा गांधी की जय ,सरदार पटेल की जय, जवाहरलाल नेहरु की जय के नारों के बीच सबने महिसागर नदी को पानी और कीचड़ में चलकर पार कर लिया। इससे यह सिद्ध होता है कि कैसे भी कठिन परिस्थिति क्यों न हो यदि उसका सामना सूझ-बूझ और आपसी मेलजोल से किया जाए तो उस स्थिति का मुकाबला किया जा सकता है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।।
Answer:
गांधी जी अपनी दांडी यात्रा पर थे। उन्हें मही नदी पार करनी थी। ब्रिटिश सरकार ने नदी के तट के सारे नमक भंडार हटा दिए थे। वे अपनी यह यात्रा किसी राजघराने के इलाके से नहीं करना चाहते थे। जब वे कनकपुरा पहुँचे तो एक घंटा देर हो गई। इसलिए गांधी जी ने कार्यक्रम में परिवर्तन करने का निश्चय किया कि नदी को आधी रात में समुद्र में पानी चढ़ने पर पार किया जाए ताकि कीचड़ और दलदल में कम से कम चलना पड़े। तट पर अँधेरा था। इसके लिए लोगों ने सूझबूझ से काम लिया और थोड़ी ही देर में हज़ारों दिए जल गए। हर एक के हाथ में दीया था। इससे अँधेरा मिट गया। दूसरे किनारे भी इसी तरह लोग हाथों में दीये लेकर खड़े थे। इस प्रकार कठिन परिस्थिति में सूझबूझ से काम लिया और उसका सामना किया। गांधी जी को रघुनाथ काका ने नाव में बिठाकर नदी पार करा दी।