पेड़ को मत काटो कौन सा कारक है
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sakarmak hai kyo ki iska questions ban rhe hai
Answer:
क्र०सं० 2.
कारक:
परसर्ग:
पहचान:
उदाहरण:
वाक्य-प्रयोग: – कर्म (जिस पर क्रिया का फल पड़े)
– शून्य, को
– क्या?, किसको?
– कहानी पुत्र को
– सोनिया कहानी पढ़ती है।, पिता ने पुत्र को बुलाया।
. कर्म कारक (Objective Case)-क्रिया का प्रभाव पड़ने वाले रूप को ‘कर्म कारक’ कहा जाता है। कर्म केवल सकर्मक क्रिया के साथ ही आता है। इसका परसर्ग’को’ है। परसर्ग’को’ का प्रयोग विशेष रूप से प्राणीवाचक संज्ञा के साथ ही होता है, लेकिन कभी-कभी बल देने के लिए अपवाद स्वरूप अप्राणीवाचक पदार्थों के साथ भी इसका प्रयोग होता है। इस प्रकार :
“संज्ञा या सर्वनाम के उस रूप को कर्म कारक कहते हैं, जिसपर क्रिया का प्रभाव पड़ता है।”
परसर्ग सहित :
माँ ने बेटे को समझाया।, राधा ने नौकर को बुलाया।
परसर्ग रहित:
मैंने कल बंदर देखा।, सुधा ने चिड़ियाघर में पक्षी देखे।
अप्राणीवाचक बिना परसर्ग के :
वह पत्र लिखता है।, वह पुस्तक पढ़ रहा है।
अप्राणीवाचक परसर्ग के साथ :
मेज़ को सही जगह पर रख दो।, पेड़ को मत काटो।
कभी-कभी एक ही वाक्य में दो कर्म भी पाए जाते हैं :
शशी ने रमा को पुस्तक दी।, माँ बच्चे को खाना खिला रही है।
विशेष :
1. वाक्य में मुख्य तथा गौण कर्म हो तो ‘को’ गौण कर्म के साथ आता है; जैसे :
लड़के ने गधे को पत्थर मारा।
2. जो प्रेरणार्थक क्रियाएँ अकर्मक क्रियाओं से बनती हैं। उनके कर्म के साथ प्रायः ‘को’ आता है; जैसे :
मोटर चलती है।, ड्राइवर मोटर को चलाता है।
लड़का गिरता है।, कुत्ता लड़के को गिराता है।
3. गतिवाचक क्रियाओं का प्रयोग करते समय स्थानदर्शक कर्म के साथ ‘को’ नहीं आता; जैसे :
सेठ जी आज मुंबई गए।, स्वाति कॉलेज जा रही है।
4. ‘चाहिए’ क्रिया का प्रयोग करते समय कर्ता के साथ ही ‘को’ प्रत्यय आता है; जैसे :
विद्याथयों को पढ़ाई करनी चाहिए।
5. विशिष्ट प्रयोग में भी ‘को’ का उपयोग किया जाता है; जैसे :
बरसात आने को है।, बोलने को तो वह बोल गया।