प्यारे जगाते हुए हारे सब तारे तुम्हें
अरुण-पंख तरुण-किरण मार
खड़ी खोलती है द्वार- अरुणप
जागो फिर एक बार! summary of the lines
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जागो फिर एक बार' कविता हिंदी के महान कवि 'सूर्यकांत त्रिपाठी निराला' द्वारा रचित एक कविता है। इस कविता में उस समय का वर्णन है, जब भारत अंग्रेजों के हाथों पराधीन था। ... इस कविता में कवि ने देश-प्रेम की भावना को व्यक्त करते हुए अनेक 20 महापुरुषों का उदाहरण देकर भारतीयों को जाग जाने के लिए प्रेरित किया है।
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