paath सिंदबाद Q1 पहले सफर में जहाज के कप्तान ने सिंदबाद को कहां उतार दिया था
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सिंदबाद ने कहा कि मेरी विचित्र दशा थी। चाहे जितनी मुसीबत पड़े मैं कुछ दिनों के आनंद के बाद उसे भूल जाता था और नई यात्रा के लिए मेरे तलवे खुजाने लगते थे। इस बार भी यही हुआ। इस बार मैंने अपनी इच्छानुसार यात्रा करनी चाही। चूँकि कोई कप्तान मेरी निर्धारित यात्रा पर जाने को राजी नहीं हुआ इसलिए मैंने खुद ही एक जहाज बनवाया। जहाज भरने के लिए सिर्फ मेरा माल काफी न था इसीलिए मैंने अन्य व्यापारियों को भी उस पर चढ़ा लिया और हम अपनी यात्रा के लिए गहरे समुद्र में आ गए।
कुछ दिनों में हमारा जहाज एक निर्जन टापू पर लगा। वहाँ रुख पक्षी का एक अंडा रखा था जैसा कि एक पहले की यात्रा में मैंने देखा था। मैंने अन्य व्यापारियों को उसके बारे में बताया। वे उसे देखने उसके पास गए। उस अंडे में से बच्चा निकलने वाला था। जब जोर की ठक-ठक की आवाज के साथ बच्चे की चोंच अंडा तोड़ कर निकली तो व्यापारियों को सूझा कि रुख के बच्चे को भूनकर खा जाएँ। वे कुल्हाड़ियों से अंडा तोड़ने लगे। मेरे लाख मना करने पर भी वे न माने और बच्चा निकालकर उसे काट-भून कर खा गए।