Geography, asked by tukunbari1207, 1 year ago

पछुआ व पुरवा पवनों से क्या तात्पर्य है?

Answers

Answered by yuvraj309644
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Explanation:

पछुआ पवन पृथ्वी के दोनों गोलार्द्धों में प्रवाहित होने वाली स्थायी पवनें हैं। इन पवनों की पश्चिमी दिशा के कारण ही इन्हें 'पछुआ पवन' कहा जाता है।

Answered by dynamogaming14
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\huge\underline\mathfrak\orange{Answer}

दोनों गोलाद्धों में उपोष्ण उच्च वायुदाब (३० डिग्री से ३५ डिग्री) कटिबन्धों से उपध्रुवीय निम्न वायुदाब (६० डिग्री से ६५ डिग्री) कटिबन्धों की ओर चलने वाली स्थायी पवन हैं। इनकी पश्चमी दिशा के कारण इन्हे 'पछुवा पवन' (वेस्टर्लीज) कहते हैं।

पृथ्वी के दोनों गोलार्धो में उपोष्ण उच्च वायु दाब कटिबंधो से उपध्रुवीय निम्न वायुदाब कटीबंधो की ओर बहने वाली स्थायी हवाओ को इनकी पश्चिम दिशा के कारण पछुआ पवन कहा जाता है| उत्तरी गोलार्ध में ये दक्षिण-पश्चिम से उत्तर -पूर्व की ओर तथा दक्षिणी गोलार्ध में उत्तर - पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की ओर बहती है| पछुआ हवाओ का सर्वश्रेष्ठ विकास ४० डिग्री से ६५ डिग्री दक्षिणी अक्षांशों के मध्य पाया जाता है क्योंकि यहाँ जलराशि के विशाल विस्तार के कारण पवनो की गति अपेक्षाकृत तेज तथा दिशा निश्चित होती है | दक्षिणी गोलार्ध में इनकी प्रचंडता के कारण ही ४० से ५० डिग्री दक्षिणी अक्षांश के बीच इन्हें ' चीख़ती चालिस ' ५० डिग्री दक्षिणी अक्षांश के समीपवर्ती इलाको में ' प्रचंड पचासा ' तथा ६० डिग्री दक्षिणी अक्षांश के पास ' चीखती साठा ' कहा जाता है|उत्तरी गोलार्ध में असमान उच्चदाब वाले विशाल स्थल खंड तथा वायुदाब के परिवर्तनशील मौसमी प्रारूप के कारण इस पवन का सामान्य पश्चिमी दिशा से प्रवाह अस्पष्ट हो जाता है | ध्रुवो की ओर इन पवनो की सीमा काफी अस्थिर होती है, जो मौसम एवं अन्य कारणों के अनुसार परिवर्तित होती रहती है।

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