pagamber mohammad ne kine sidhanto ka pracar kya
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One notable British technique was called the doctrine of lapse, first perpetrated by Lord Dalhousie in the late 1840s. It involved the British prohibiting a Hindu ruler without a natural heir from adopting a successor and, after the ruler died or abdicated, annexing his land
पैंगबर हजरत मोहम्मद साहब की 41 वीं पीढ़ी आज नवागढ़ी स्थित खानकाह के सज्जादानशीं है। नौंवी सदी में इस्लाम के प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से मदीना से माइग्रेट कर ईरान, लाहौर होते हुए इनके पूर्वज भारत पहुंचे। करीब 1850 में पैगंबर साहब की 36 वीं पीढ़ी सैयद शाह अता हुसैन फानी गया पहुंचे, जिन्होंने खानकाह की नींव रखीं। खानकाह में ही सैयद शाह अता हुसैन फानी की मजार है। वंशावली के एक्सपर्ट सैयद अहमद फुजैल ने बताया कि करीब 169 साल से नवागढ़ी मुहल्ले में खानकाह संचालित है। गया के खानकाह में करीब 500 मैनुस्क्रिप्ट (हस्तलिपि) उपलब्ध है। इसमें मदीना से माइग्रेट कर किन-किन स्थानों पर लोग पहुंचे? भारत में कब और कैसे आए? मदीना से माइग्रेट के दौरान कौन सी चीजें साथ में थी? सारी जानकारी मौजूद थे। बतादें कि मदीना से एक बड़ी तादाद में नौंवी सदी में पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब की 13 वीं पीढ़ी सैयद अबुल कासिम माइग्रेट कर टूस (ईरान) पहुंचे। करीब चार पीढ़ी यही रही। इसके बाद इस्लाम के प्रचार-प्रसार के लिए पैगंबर साहब की 17 वीं पीढ़ी सैयद मोहम्मद याकुब लाहौरी लाहौर, हिन्दुस्तान पहुंचे। उस वक्त लाहौर हिन्दुस्तान में था। यहां से इनकी अन्य पीढ़ी इस्लाम का प्रचार के लिए दिल्ली, यूपी, बिहार का सफर पूरा किया।