Page No 16. Date 10-7-21 प्रश्नों के उत्तर लिखिरा पेड़-पौधों के भोजन करने केढंना पर प्रकाया डाजिया .
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मैंने पुदीने की एक शाखा को पानी पर उलटे किए हुए कांच के जार में रखा। यह जार पानी से भरे हुए बर्तन में रखा गया था। कुछ महीनों तक यह शाखा उस जार में वृद्धि करती रही। मैंने पाया कि इस जार की हवा में न तो मोमबत्ती बुझी, न ही । उस चूहे को कोई परेशानी हुई जिसे मैंने इस जार में रखा।...”
सारी दुनिया अपने भोजन के लिए पेड़-पौधों पर निर्भर है। लेकिन क्या किसी ने उन्हें कुछ खाते-पीते देखा है? कैसे छोटा-सा बीज फुटकर छोटा-सा पौधा बनता है. पत्तियां निकलती हैं और फिर वह एक भरे-पूरे पेड़ में बदल जाता है?
ऐसे ही कई सवाल सदियों से उठते रहे हैं और अरस्तु से लेकर आज तक वैज्ञानिकों को परेशान करते रहे हैं।
अब हम जानते हैं कि पेड़-पौधे अपना भोजन स्वयं बनाते हैं - सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में हरे क्लोरोफिल की सहायता से। आज हम काफी कुछ जानते हैं पत्तियों में पाए जाने वाले विभिन्न रंजकों की रचना व उनकी भूमिका के बारे में; किस तरह ये रंजक सूर्य की ऊर्जा को ग्रहण कर उसे रासायनिक ऊर्जा में बदल देते हैं; किस तरह पत्तियों में पानी और कार्बन डाइऑक्साइड जैसे सरल अकार्बनिक पदार्थों से ग्लूकोज, स्टार्च और अन्य जटिल कार्बनिक पदार्थ बनते हैं। संक्षेप में कहें तो प्रकाश संश्लेषण आज हमारे लिए कोई अनोखा शब्द नहीं है। लेकिन जिस जानकारी या ज्ञान को हम कक्षा के एक पाठ में पढ़ लेते हैं उसे खोजने में सदियां लग गई: लंबे-लंबे प्रयोग हुए, उपकरण बने और फिर प्रयोगों के परिणामों को और परिष्कृत किया गया। कई शंकालु, खोजी और जिज्ञासु प्रवृति के लोगों ने अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा लगा दिया इसमें।