पहाड़ का सीना क्यों दहलता है
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चंद्रशेखर द्विवेदी, बागेश्वर: आसान तरीके से पैसे कमाने के चक्कर में खड़िया खानों के लिए होड़ शुरू हो गई है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले सात सालों में जिले में दो गुने से अधिक खड़िया खदानें खुल चुकी है। अगर सरकार इस तरह पहाड़ का सीना चीरते रही तो हिमालय नही बचने वाला है। खड़िया खनन शुरू हो गया है। जिले के पुंगरघाटी, कांडा, कपकोट और खरेही पट्टी के विभिन्न हिस्सों में खड़िया की कुल 70 खानें हैं। 2010 में यहां 30 खदाने थी। जो 2017 आते-आते 70 तक पहुंच गई, जबकि करीब 400 लोगों ने और आवेदन किया है। जो सरकार की अनुमति का इंतजार कर रहे हैं। इन खानों से वर्ष में लाखों टन खड़िया खोदी जाती है। पहले मजदूरों से खदान होता था, लेकिन अब अधिक फायदे के लिए डेढ़ दर्जन से भी अधिक खान मालिक जेसीबी लगाकर खदान कर रहे हैं। इस धंधे से जहां सरकार को अच्छा खासा राजस्व प्राप्त हो रहा है वहीं रोजगार भी मिल रहा है। शासन-प्रशासन खड़िया खनन के नाम पर हो रहे गोरखधंधे पर आंख मूंदे रहता है। उसे राजस्व तो मिलता है, वहीं मोटी कमाई भी होती है।