Geography, asked by hargunsingh844, 6 months ago

पहाड़ी क्षेत्रों में मृदा अपरदन की रोकथाम के लिए क्या कदम उठाने चाहिए​

Answers

Answered by Sandeepshakya
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Answer:

मिट्टी जल, वायु और वनस्पतियों के जैसा ही महत्वपूर्ण है। पेंड़-पौधों तथा मानवीय सभ्यता के अस्तित्व के लिए मिट्टी की आवश्यक है। अतः मिट्टी संरक्षण की जरूरत पड़ती है। आज की इस कड़ी में मृदा अपरदन रोकथाम के उपाय देखेंगे।

मृदा अपरदन के रोकथाम के उपाय

Prevention measures of soil erosion

मिट्टी अपरदन को रोकने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं जो निम्नलिखित हैं।

• समोच्य रेखिए जुताई

• सीढ़ीनुमा (सोपानी) कृषि:-

• घास की पट्टियां

• वृक्षारोपण

• पेड़ों की रक्षक मेखला

• अति पशुचारण पर नियंत्रण

• बांध बनाना

Explanation:

मिट्टी अपरदन को रोकने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं जो निम्नलिखित हैं।

• समोच्य रेखिए जुताई

ढाल वाली भूमि पर समोच्च रेखाओं के समानांतर हल चलाने से ढाल के साथ जल के बहाव की गति कम होती है। इससे अपरदन की क्रिया कम होती है। इस जुताई को समोच्च रेखीय जुताई कहते हैं। इस प्रकार की जुताई हिमालय क्षेत्रों तथा आंतरिक पहाड़ी भागों में उपयुक्त है।

• सीढ़ीनुमा (सोपानी) कृषि:-

तीव्र ढ़ाल वाली भूमि पर सीढ़ी बनाकर खेती करने से पानी के बहाव को कम किया जा सकता है। जिससे मृदा का अपरदन कम होता है। हिमालय क्षेत्रों में सीढ़ीनुमा कृषि काफी विकसित अवस्था में है।

• घास की पट्टियां:-

नीचे क्षेत्रों जहां तेज जल बहाव की संभावना होती है। वहां फसलों के बीच घांस लगाई जाती है। इस घास की पेट्टी से तेज जल बहाव के प्रभाव को कम किया जा सकता है। इस कारण मृदा का अपरदन कम होता है। इस प्रकार की युक्ति पहाड़ी तथा मैदानी क्षेत्रों में अधिक लाभदायक होता है।

• वृक्षारोपण:-

पेड़-पौधों की जड़ें मिट्टी को पकड़े रहती है जिससे अपरदन कम होता है। इस कारण पहाड़ी ढलानों तथा नदियों के किनारे एवं अन्य सभी जगहों पर पेड़-पौधे मिट्टी अपरदन को रोकने में सहायक है। अत: वृक्षारोपण मृदा संरक्षण में मददगार है।

• पेड़ों की रक्षक मेखला:-

पेड़ों को कतार में लगाकर रक्षक मेखला बनाई जाती है। इस रक्षक मेखला के कारण पवनों की गति को कम किया जा सकता है। जिससे मिट्टी की ऊपरी परत हवा से कम उड़ती है। फलस्वरूप मृदा अपरदन कम होता है। पेड़ों द्वारा बनी यह रक्षक मेखला शुष्क तथा मरुस्थलीय क्षेत्रों में बहुत ही कारगर सिद्ध हुई है।

• अति पशुचारण पर नियंत्रण:-

पशुओं की बेरोकटोक चराई को रोककर मृदा के अपरदन को रोका जा सकता है।

• बाँध:-

वर्षा ऋतु में नदियों में बाढ़ आने से आसपास के क्षेत्रों में मिट्टी का कटाव होता है। नदियों पर बांध बनाकर पानी को रोककर धीरे-धीरे कम मात्रा में छोड़ा जाता है। इससे बाढ़ की समस्या भी नहीं होती तथा मृदा अपरदन भी कम होता है।

इस प्रकार कहा जा सकता है कि पहाड़िया और पर्वतीय क्षेत्रों में जहां समोच्च रेखीय जुताई, सीढ़ीनुमा कृषि, घास की पेट्टी, वृक्षारोपण और पशुचारण पर नियंत्रण रख मृदा अपरदन को रोका जा सकता है। वहीं शुष्क और मरुस्थलीय क्षेत्रों में रक्षक मेखला और वृक्षारोपण जैसे तरीके मृदा अपरदन को रोकने में सहायक है।

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