पहलवान की ढोलक कहानी के किस किस मोड़ पर लोटन के जीवन में क्या-क्या परिवर्तन आए लिखिए
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जब लुट्टन के माता-पिता का बचपन में देहांत हो गया था तो लुट्टन के जीवन का कोई सहारा न रहा और फिर उसकी सास द्वारा उसका पालन पोषण किया गया।
लुट्टन अपनी सास पर हुए अत्याचारों का बदला लेने के लिए पहलवान बना।
लुट्टन सिंह ने बिना गुरु के ही पहलवानी खीखीऔर उसने ढोलक को ही अपना गुरु बनाया। वह ढोलक की थाप ऊपर पहलवानी के दांव पेच सीखता था।
लुट्टन की पत्नी की मृत्यु हो गई तो उसने किसी तरह पत्नी की मृत्यु का दुख सहा और अपने दो छोटे बच्चों का पालन पोषण किया।
अपने जीवन के बहुमूल्य 15 वर्ष राजा की छत्रछाया में बिताने के बाद जब राजा का निधन हो गया तो राजा के पुत्र द्वारा लुट्टन सिंह को महल से निकाले जाना लुट्टन के लिये दुखदायी था। लुट्टन सिंह फिर गांव के बच्चों को पहलवानी सिखाने लगा।
लुट्टन के अपने पुत्रों की मृत्यु होना भी उनके जीवन एक महत्वपूर्ण परिवर्तन था।
जब गांव में महामारी फैल गई थी तो अपने ढोलक के द्वारा गांव के लोगों के जीवन में उत्साह का संचार किया, यह भी उसके जीवन का एक महत्वपूर्ण परिवर्तन था।
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