Pahle ke log nadiyo ke kenare kyo rahte the?
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वनदेवी और वनदेवता की मान्यताओं के पालन के लिए किसी तरह के वाह्य दबाव की आवश्यकता नहीं होगी. केदार घाटी, कर्ण प्रयाग और नंद प्रयाग में लोग पहले नदियों से दूर बसते थे. पर आज तो नदियों के किनारे भारी बसाहट हो गई है. अगर नदी बौखलाती है तो आसपास की जगहों को बिना अमीर-गरीब का भेदभाव किए अपने साथ बहा ले जाती है.
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