Hindi, asked by tisu9171, 11 months ago

Paiso ka ped
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Answered by zakirhussain786
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Answer:

पैसे का पेड़

हमारे गाँव के मुखिया के बेटे की शादी का अवसर था |

मशहूर तवायफ हीरामनी बुलाई गयी थी |शाम होते ही

शौकिनों के झुंड इत्र-फुलेल लगाए ,मलमल का कुरता पहने

मुखिया जी के अहाते में पहुँचने लगे |कुरते के पारदर्शी जेब

में रखे हरे-हरे नोट साफ झलक मार रहे थे |चाचा जी भी

नाच-गाने के शौकीन थे |वे भी चलने को हुए,तभी चाचा ने

उन्हें टोका -अजी ,साग-सब्जी मंगाने के लिए कुछ रूपए

देते जाइए।

चाचा को चाची का टोकना खल गया |झल्लाकर बोले "पैसे

क्या पेड़ पर फलते हैं ?जब देखो तब पैसा...पैसा ...बाप के

घर से मँगवा लेती ....

चाची अपना -सा मुँह लेकर रह गईं |चाचा जी बाहर निकले

तो मैं भी जिद करके उनके साथ हो लिया हीरामनी को

देखते ही चाचा जी की बांछे खिल गईं | मैं भी मंत्रमुग्ध-सा

उस अप्सरा को देख रहा था | अद्भुत दृश्य था |चमचमाते

तम्बू - कनात , बिजली की झालर, झूमर,रंगीन पर्दे और

बीचों-बीच में लाल लहंगे,हरे ब्लाउज और सितारे जड़ी

चनरी से सजी हीरामनी ।मैं जैसे किसी इन्द्रसभा में था ।चारों तरफ लोगों के बैठने के लिए मोटे गद्दे पड़े थे |नाच

शुरू हुआ |सब लोग बाह-बाह करने लगे हीरामनी हाव

भाव दिखती हुई नाच रही थी|रसिक नोट दिखाकर उसे

पास बुलाते |वह अदा के साथ आती रूपए झटक कर दूसरे

की तरफ मुड़ जाती रसिकों में जैसे सबसे बड़ा नोट देने की

होड़ -सी लग गयी थी |मैंने सोचा-बेचारे चाचा जी !उनके

पास तो पैसा ही नहीं ,जो हीरामनी को पास बुलाएँगे |पैसे

के लिए ही तो चाची को डांट दिया था |उनके पास भी

रूपए होते तो कितना मजा आता हीरामनी पास आती तो

मैं भी उसे कर देखता कि कहीं वह परी तो नहीं।

अफसोस!

पर तभी मेरी आँखें आश्चर्य से फटी रह गईं | चाचा ने जाने

कहाँ से नोटों की माला निकाली और आगे बढ़कर हीरामनी

के गले में पहना दी |सभी लोग तालियाँ बजाने लगे पर मैं

उस पेड़ को चारों तरफ ढूंढ रहा था ,जिस पर एक साथ

इतने रूपए फले थे |

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