. पक्षियों के आक्षय स्थल को क्या
कहते है
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पक्षियों का प्रव्रजन या पक्षियों का प्रवास (Migration) पक्षीविज्ञान का बहुत महत्वपूर्ण अंग है। उनका यह प्रव्रजन, ऋतुपरिवर्तन के समान नियमित और क्रमिक होता है और युग-युग से यह मनुष्यों में उत्सुकता और जिज्ञासा उत्पन्न करता रहा है, यहाँ तक कि रेड इंडियनों ने अपने कलेंडर के महीनों के नाम प्रव्रजन करनेवाली चिड़ियों के आगमन पर ही रखा है।
चिड़ियों के प्रव्रजन के विषय के मान्य पंडित लैंड्सबरो टॉमसन (Landsborough Tomson) ने प्रव्रजन की व्याख्या इस प्रकार की है: निवासस्थान का समय समय पर बार-बार और एकांतर दिशा में बदलना, जिससे हर समय जीवनोपयोगी प्राकृतिक अवस्थाएँ उपलब्ध हो सकें, प्रव्रजन है।
बहुत पूर्व ऐसा विश्वास किया जाता था कि जिस प्रकार कुछ स्तनपायी और उरग शरद ऋतु में ठंढ से बचने के लिए शीतनिष्क्रियता (hibernation) में चले जाते हैं, उसी भाँति अबाबील, कलविंकक (nightingale) और कोयल भी शीतशयन करती हैं। ऐसी धारणा अरस्तू के समय से ही चली आ रही थी।