पन्ना धाय ने उदय सिंह को चित्तौड़ का सूरज क्यू कहाँ ? ( दीपदान )
Chapter in Class 7 Hindi Literature
Answers
‘डॉ. रामकुमार वर्मा’ द्वारा रचित “दीपदान” नामक एकांकी में पन्ना धाय ने उदय सिंह को चित्तौड़ का सूरज इसलिए कहा था क्योंकि वह चित्तौड़ का भविष्य था और अपने पिता राणा संग्राम सिंह की मृत्यु के बाद चित्तौड़गढ़ का असली वारिस था। अर्थात उदयसिंह चित्तौड़गढ़ का भावी सूरज था जो अपने प्रकाश से चित्तौड़ को आलोकित करने वाला था।
जब चित्तौड़गढ़ के राणा महाराणा संग्राम सिंह की मृत्यु हो चुकी थी। उस समय उनका पुत्र उदय सिंह छोटा बालक था और पन्नाधाय के संरक्षण में पल-बढ़ रहा थाष उसी समय दासी पुत्र बनवीर सिंह ने चित्तौड़गढ़ के सिंहासन पर कब्जा करने की ठानी और वह उदय सिंह की हत्या करने का षड्यंत्र रचने लगा। पन्ना धाय को इसकी भनक लग चुकी थी।
जब एक बार उदय सिंह दीपदान महोत्सव में जाने की जिद करने लगा तो पन्नाधाय ने उदय सिंह को समझाते हुए कहा कि तुम चित्तौड़गढ़ के सूरज हो क्योंकि तुम्हारा सूरज की तरह ही उदय हुआ है इसलिए तुम्हारा नाम ही उदय सिंह रखा गया। तुम दिन में चित्तौड़गढ़ के सूरज और रात में राजवंश के दीपक हो। इसलिए तुम कहीं ना जाओ. बाहर चारों तरफ दुश्मन रूपी जहरीले सांप घूम रहे हैं जो किसी भी समय तुम्हें नुकसान पहुंचा सकते हैं।
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दीपदान एकांकी के रचनाकार कौन है
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पन्नाधाय मेवाड़ के किस राजकुमार की धात्री माँ थी ?
(अ) उदय सिंह की
(ब) संग्राम सिंह की
(स) प्रताप की
(द) उपर्युक्त सभी की।
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Answer:
उत्तर: आशय-पन्ना धाय कुँवर उदयसिंह को समझाते हुए कहती है कि तुम चित्तौड़ के सूरज हो। सूरज की तरह तुम्हारा उदय हुआ है तभी तुम्हारा नाम उदयसिंह रखा गया है। अत: दिन में तो तुम चित्तौड़ के सूरज हो और रात में तुम राजवंश के दीपक हो।