Pani tere rup anek par kavita
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पानी तेरे रूप हैं अनेक,
कहीं पर तू झील बनकर बहता है,
तो कहीं है झरना विशाल।
कहीं है तू नयनों का नीर,
तो कहीं है नदी विशाल।
कभी तू बादलों से वर्षा बनकर धरती पर आता है,
तो कभी वाष्प बन आकाश में लुप्त हो जाता है।
तू है जग में सबसे निराला,
सबको जीवन देने वाला।
कहीं पर तू झील बनकर बहता है,
तो कहीं है झरना विशाल।
कहीं है तू नयनों का नीर,
तो कहीं है नदी विशाल।
कभी तू बादलों से वर्षा बनकर धरती पर आता है,
तो कभी वाष्प बन आकाश में लुप्त हो जाता है।
तू है जग में सबसे निराला,
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