Hindi, asked by anshul3202, 9 months ago

Panktiyon ka bhav spasht kijiye vijay mrutyu per prapt ho hamen dev amrita ka do vardan satya marg per chal paye amar jyoti ka hai naya bihar

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Answered by aswinkumarashutos
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मनुष्य जीवन का उद्देश्य क्या है? इसके उत्तर में कह सकते हैं कि सत्य को जानना, समझना, उस पर गहनता से विचार करना, ऋषि दयानन्द सरस्वती आदि महापुरुषों के जीवन चरितों व उपदेशों का अध्ययन करना, ईश्वर, जीवात्मा व प्रकृति का सत्य ज्ञान कराने वाले वेद एवं सत्यार्थाप्रकाशादि ग्रन्थों को प्राप्त करना व उनका अध्ययन करना, यह सब करके संसार व जीवन विषयक सत्य का निर्धारण करना और उसका पालन करना ही मनुष्य जीवन का लक्ष्य प्रतीत होता है। एक वैदिक प्रार्थना बहुत प्रचलित है ’असतो मा सदगमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय, मृत्योर्माऽमृतम् गमय’। इसमें कहा गया है कि ‘हे सृष्टि बनाने, चलाने व इसकी प्रलय करने वाले परमात्मन् ! आप सत्य व असत्य को जानते हैं। आप हमें असत्य से हटा कर सत्य मार्ग पर चलने की प्रेरणा करें। मैं असत्य का आचरण न करूं और जीवन में सदैव सत्य का ही आचरण करूं, सदा सत्य व प्रकाश के मार्ग पर ही चलूं और जन्म-मरण के बन्धन से मुक्त हो जाऊं।’ इस वैदिक प्रार्थना में जो कुछ कहा गया है, उससे कोई भी मनुष्य असहमत नहीं हो सकता। एक अन्य प्रार्थना जो देश का ध्येय वाक्य भी कह सकते हैं, वह है ‘सत्यमेव जयते’। इसका अर्थ है कि सत्य की ही सदा विजय होती है। सत्य कभी पराजित नहीं होता। अतः जिसकी सदा विजय हो और जो कभी पराजय को प्राप्त न हो, उसी को हमें मानना चाहिये व आचरण में लाना चाहिये।

जब हम अपने प्राचीन ऋषि-मुनि व विद्वानों के जीवनों पर दृष्टि डालते हैं तो पाते हैं कि उनका जीवन सत्य को जानने व उसके आचरण को ही समर्पित था। वह पर्वतों की कन्दराओं, घने वनों में स्थित आश्रमों व कुटियायें बना कर वहां तप की साधना करते थे। तप का अर्थ ही सत्य को जानना व उसका आचरण करना होता है। सत्य अर्थात् ईश्वर के सत्य गुण, कर्म व स्वभाव को जानकर उनका उसके अनुरूप स्तुति व स्तवन करना ही ईश्वर की पूजा कहलाता है। विश्व विख्यात ऋषि दयानन्द जी ने लिखा है कि स्तुति का अर्थ स्तोत्य वस्तु के सत्य गुणों को जानकर उसका वर्णन करना होता है। ईश्वर की स्तुति की बात करें तो इसके गुणों सत्य, चित्त, आनन्द, निराकार, सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापक, निरभिमानी, पवित्र, धार्मिक, पक्षपात रहित होकर न्याय करने वाला, अनादि, नित्य, अमर, अविनाशी, अजन्मा, सृष्टि को बनाने, चलाने, पालन करने व प्रलय करने वाला, सब जीवों को उनके कर्मों का फल देने वाला, जीवात्माओं को जन्म-मृत्यु और पुनर्जन्म देने वाला, अजर, अभय आदि गुणों का उच्चारण व प्रशंसा कर अपने गुणों को भी इस

Answered by mrityunjay13
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Panktiyon ka bhav spasht kijiye vijay mrutyu per prapt ho hamen dev amrita ka do vardan satya marg per chal paye amar jyoti ka hai naya bihar

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