Hindi, asked by indrawatisinhanaini, 25 days ago

परिचछेद में सिपाही भिशती और वकील के हुलिए का वर्णन किया गया है इसी प्रकार आप राजा और साधु के हुलिए का वर्णन कीजिए​

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Answered by sk86121968184
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Answer:

) परिच्छेद में सिपाही , भिश्ती और वकील के हुलिए का वर्णन किया गया है । इसी प्रकार आप राजा और साधु के हुलिये का वर्णन कीजिए । उत्तर – राजा – अनेक रंग के पोशाक पहने , सिर पर मुकुट धारण किए हुए । कमर में तलवार युक्त म्यान लटका हुआ ।

Answered by soniatiwari214
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उत्तर :

जहां राजा की वेशभूषा उसके धन संपदा और पद के कारण हीरे, सोने, चांदी, जेवरात आदि के आभूषणों से लदी, रेशमी कपड़ों से बनी वैभवशाली होती है। वहीं एक साधु की वेशभूषा उसकी सादा जीवन शैली के कारण सीधी सरल होती है।

व्याख्या :

  • एक राजा साम्राज्य का मालिक होता है पूरे साम्राज्य का धन वैभव व संपदा पर उसका पूरा अधिकार होता है। आमतौर पर सभी राजा भोग विलास में लिप्त रहते थे। जिसका प्रभाव उनकी वेशभूषा पर भी दिखता है। मुख्यतः सारे राजा रेशमी वस्त्रों से बने पारीक महीन रेशमी लिबास पहनते थे। जिसको बनाने में सैकड़ों कारीगर जुटते थे। राजाओं की वेशभूषा में आभूषणों का भी प्रमुख स्थान था। राजा अमूल्य मोतियों मनकों, सोने, चांदी व हीरे, जवाहरात आदि से जड़ित आभूषण को ग्रहण करना पसंद करते थे।
  • दूसरी ओर साधु संत जैसे सीधे सरल व मानव सेवा में लगे पुरुष अपने घरों को छोड़कर जंगलों में कुटिया बनाकर निवास करते थे। उनके भीतर त्याग की भावना पाई जाती थी। इस कारण उनकी वेशभूषा में भी त्याग परिलक्षित होता है। साधु दुनिया की मोह माया-सुख, शान-शौकत आदि को छोड़कर सदा व सरल जीवन जीना पसंद करते हैं। इसी कारण उनकी वेशभूषा में केवल एक सूती सा कपड़ा रहता है। जिसे वे अपने तन को ढकने के काम में लाते हैं तथा अधिकतर साधु बिना चप्पलों के रहते हैं या लकड़ी की कठोर खड़ाऊ पहनते हैं। इसके अतिरिक्त उनके गले में हाथों में रुद्राक्ष आदि की माला विराजमान रहती है।

इस प्रकार हम देखते हैं कि राजा और साधु की वेशभूषा में उनके पदों उनके व्यवहार के कारण पर्याप्त भिन्नता दिखाई देती है।

#SPJ2

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