२-परीक्षा परिणामों में श्रेष्ठ सफलता पाने पर अपने भाई को बधाई पत्र लिखिए।
३-निबंध लिखिए
इंटरनेट लाभ और हानि ,पर्यावरण प्रदूषण, भारत का स्वच्छता अभियान
Answers
Answered by
1
(1) तुम्हारे पापा को फोन किया, उन्ही से ज्ञात हुआ की तुम बोर्ड परीक्षा में दिल्ली में प्रथम आये हो। इस समाचार को सुन मेरा मन ख़ुशी से भर गया। मुझे तो पहले से ही विश्वास था कि तुम प्रथम श्रेणी में अच्छे अंकों से उत्तीर्ण होंगे लेकिन यह जानकार की तुमने प्रथम श्रेणी के साथ-साथ जिले में भी प्रथम स्थान प्राप्त किया है, मेरी प्रसन्नता की सीमा न रही। इस परीक्षा के लिए तुम्हारे कठिन परिश्रम ने ही वास्तव में तुम्हे सफलता की इस ऊंचाई तक पहुंचाया है। मुझे तो पहले से ही पूरी आशा थी की तुम्हारा परिश्रम रंग अवश्य ही दिखायेगा और मेरा अनुमान सच साबित हुआ। तुमने प्रथम स्थान प्राप्त कर यह दिखा दिया की दृढ संकल्प और कठिन परिश्रम से कुछ भी प्राप्त किया जा सकता है।
मैं सदैव यह कामना करता हूँ की तुम ऐसे ही जीवन की हर परीक्षा में प्रथम आओ और इसी प्रकार अपने परिवार का और अपने विद्यालय का नाम रौशन करो।
(2) इंटरनेट के फायदे और नुकसान दोनों है। यह निर्भर करता है कि आप इसे किस रूप में अपनाते है।
इंटरनेट के लाभ –
इंटरनेट की सहायता से हमें किसी भी तरह की जानकारी सर्च इंजन की मदद से मिनटों में मिल जाती है।
इंटरनेट के मदद से दूर में रह रहे लोगों के साथ घंटों बातें कर सकते है या ई मेल कर सकते है।
अगर आप बोर हो रहे हो तो इसकी सहायता से आप गाना, फिल्म, गेम्स डाउनलोड कर सकते है। यह हमारी मनोरंजन के लिए एक अच्छा साधन है।
इसके मदद से आप ऑनलाइन टिकट बुकिंग, ऑनलाइन बैंकिंग, ऑनलाइन पढ़ाई, ऑनलाइन शॉपिंग और ऑनलाइन नौकरी आदि सुविधायें प्राप्त कर सकते है।
इसमें आप सोशल नेटवर्किंग साइट की सहायता से नये-नये दोस्त बना सकते है। जिससे आप बहुत कुछ सीख सकते है।
इंटरनेट के नुकसान –
इंटरनेट का सबसे बड़ा नुकसान है कि आपको इसकी आदत सी हो जाती हैं और इससे आपका बहुत समय बर्बाद हो जाता है।
अगर आप इंटरनेट का उपयोग ऑनलाइन बैंकिंग, सोशल नेटवर्किंग साइट या अन्य साईट का करते है तो आपका पर्सनल इनफार्मेशन जैसे- नाम, पता, मोबाइल नंबर इत्यादि का गलत उपयोग हो सकता है।
इंटरनेट के उपयोग से आपके कम्प्यूटर में वायरस का खतरा बढ़ जाता हैं।
इंटरनेट का सबसे बड़ा नुकसान पोर्नोग्राफी साइट से है, इस तरह के साइट पर ढेरों अश्लील फोटो और वीडियो रहते है। इसको देखकर बच्चों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है।
इंटरनेट के सोशल नेटवर्किंग साइट के जरिये आप ऑनलाइन चैटिंग कर लेते हैं। जिससे सामाजिक तौर पर मेल-मिलाप समाप्त सा होता जा रहा हैं।
इंटरनेट के जरिए ई मेल पर स्पैम यानि अवांछनीय ई-मेल आते हैं। जिनका मकसद केवल गोपनीय दस्तावेजों की चोरी करना होता है।
(3) पर्यावरण प्रदुषण / Pollution में सभी हानिकारक प्रदूषक हमारे स्वास्थ पर विपरीत प्रभाव डालते है. प्रदुषण के बहोत से प्रकार होते है जिनमे मुख्य रूप से जल प्रदुषण, वायु प्रदुषण, भू प्रदुषण और ध्वनि प्रदुषण शामिल है. उद्योगों में बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जाता है और इस प्रक्रिया में केमिकल, विषैले पदार्थ और गैस का उपयोग किया जाता है जो मानवी स्वास्थ के लिये हानिकारक होते है. इससे प्रकृति में विभिन्न प्रकार की समस्याये उत्पन्न होती है जैसे की ग्लोबल वार्मिंग / Global Warming, जल प्रदुषण, वायु प्रदुषण / Air Pollution इत्यादि. पिछले एक दशक में प्राकृतिक प्रदूषक का स्तर बहोत बढ़ा है. सभी प्रकार के प्रदूषण बेशक पूरे पर्यावरण और इकोसिस्टम को प्रभावित कर रहे हैं मतलब जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर रहे हैं. मनुष्य की मूर्ख आदतों से पृथ्वी पर स्वाभाविक रूप से सुंदर वातावरण दिन-ब-दिन बिगड़ता जा रहा है. प्रदूषण सबसे गंभीर मुद्दा बन गया है और हर किसी को अपने दैनिक जीवन में स्वास्थ्य सम्बंधि बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है.
इस पुरे ब्रह्माण्ड में केवल पृथ्वी ही एक ऐसा ग्रह है जहा जिंदगी के सभी संसाधन उपलब्ध है. इस ग्रह ने हमें जिंदगी दी और हमने इस ग्रह को प्रदूषित किया. इस से तो बेहतर है की हम इस ग्रह को बदलने की कोशिश ही न करे. हम दशको से पृथ्वी को प्रदूषित कर रहे है. हम सभी इसी ग्रह पर रहते है इसीलिये हमारी यह जवाबदारी है की हम इसे स्वस्थ और प्रदुषणरहित रखे. लेकिन हम अपने दैनिक कामो को चलते इतने व्यस्त हो गये की हम हमारी जिम्मेदारियों को ही भूल गये. साफ़ पानी और शुद्ध हवा हमारी स्वस्थ जिंदगी के लिये बहोत जरुरी है. लेकिन आज के आधुनिक युग में इन दो में से एक भी संसाधन साफ़ और शुद्ध नही. अगर ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले सालो में इस ग्रह पर कोई जिंदगी नही रहेगी.
पृथ्वी पर सभी प्राकृतिक गैसो का संतुलन बने रहना बहोत जरुरी है. और ये संतुलन पदों से ही बना रहता है लेकिन हम अपने स्वार्थ के लिये पेड़ो को काट रहे है. जरा सोचिये की यदि इस ग्रह पर पेड़ ही न रहे तो क्या होगा, पेड़ हमारे द्वारा छोड़ी गयी गैस कार्बोन डाइऑक्साइड को ग्रहण करते है और ओक्सिज़न को छोड़ते है. यदि पेड़ इस दुनिया में नही होंगे तो वातावरण में कार्बोन डाइऑक्साइड का प्रमाण बढ़ जायेगा, और इससे ग्लोबल वार्मिंग का खतरा भी बढ़ जायेगा. प्राकृतिक संसाधनों के साथ छेड़-छाड़ करने से प्राकृतिक आपदाये भी आ सकती है. आज के आधुनिक युग में हमने औद्योगिक विकास तो कर ही लिया है लेकिन प्राकृतिक विकास हम नही कर पाये. हम औद्योगिक विकास करने के चक्कर में हमारी प्रकृति को ही भूल गये. और इसी वजह से आज दुनिया में अलग-अलग तरह की बीमारिया उत्पन्न हो रही है. औद्योगीकरण की वजह से जीवन रक्षा प्रणाली तेजी से जीवन विनाशी प्रणाली में परिवर्तित हो रही है.
मैं सदैव यह कामना करता हूँ की तुम ऐसे ही जीवन की हर परीक्षा में प्रथम आओ और इसी प्रकार अपने परिवार का और अपने विद्यालय का नाम रौशन करो।
(2) इंटरनेट के फायदे और नुकसान दोनों है। यह निर्भर करता है कि आप इसे किस रूप में अपनाते है।
इंटरनेट के लाभ –
इंटरनेट की सहायता से हमें किसी भी तरह की जानकारी सर्च इंजन की मदद से मिनटों में मिल जाती है।
इंटरनेट के मदद से दूर में रह रहे लोगों के साथ घंटों बातें कर सकते है या ई मेल कर सकते है।
अगर आप बोर हो रहे हो तो इसकी सहायता से आप गाना, फिल्म, गेम्स डाउनलोड कर सकते है। यह हमारी मनोरंजन के लिए एक अच्छा साधन है।
इसके मदद से आप ऑनलाइन टिकट बुकिंग, ऑनलाइन बैंकिंग, ऑनलाइन पढ़ाई, ऑनलाइन शॉपिंग और ऑनलाइन नौकरी आदि सुविधायें प्राप्त कर सकते है।
इसमें आप सोशल नेटवर्किंग साइट की सहायता से नये-नये दोस्त बना सकते है। जिससे आप बहुत कुछ सीख सकते है।
इंटरनेट के नुकसान –
इंटरनेट का सबसे बड़ा नुकसान है कि आपको इसकी आदत सी हो जाती हैं और इससे आपका बहुत समय बर्बाद हो जाता है।
अगर आप इंटरनेट का उपयोग ऑनलाइन बैंकिंग, सोशल नेटवर्किंग साइट या अन्य साईट का करते है तो आपका पर्सनल इनफार्मेशन जैसे- नाम, पता, मोबाइल नंबर इत्यादि का गलत उपयोग हो सकता है।
इंटरनेट के उपयोग से आपके कम्प्यूटर में वायरस का खतरा बढ़ जाता हैं।
इंटरनेट का सबसे बड़ा नुकसान पोर्नोग्राफी साइट से है, इस तरह के साइट पर ढेरों अश्लील फोटो और वीडियो रहते है। इसको देखकर बच्चों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है।
इंटरनेट के सोशल नेटवर्किंग साइट के जरिये आप ऑनलाइन चैटिंग कर लेते हैं। जिससे सामाजिक तौर पर मेल-मिलाप समाप्त सा होता जा रहा हैं।
इंटरनेट के जरिए ई मेल पर स्पैम यानि अवांछनीय ई-मेल आते हैं। जिनका मकसद केवल गोपनीय दस्तावेजों की चोरी करना होता है।
(3) पर्यावरण प्रदुषण / Pollution में सभी हानिकारक प्रदूषक हमारे स्वास्थ पर विपरीत प्रभाव डालते है. प्रदुषण के बहोत से प्रकार होते है जिनमे मुख्य रूप से जल प्रदुषण, वायु प्रदुषण, भू प्रदुषण और ध्वनि प्रदुषण शामिल है. उद्योगों में बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जाता है और इस प्रक्रिया में केमिकल, विषैले पदार्थ और गैस का उपयोग किया जाता है जो मानवी स्वास्थ के लिये हानिकारक होते है. इससे प्रकृति में विभिन्न प्रकार की समस्याये उत्पन्न होती है जैसे की ग्लोबल वार्मिंग / Global Warming, जल प्रदुषण, वायु प्रदुषण / Air Pollution इत्यादि. पिछले एक दशक में प्राकृतिक प्रदूषक का स्तर बहोत बढ़ा है. सभी प्रकार के प्रदूषण बेशक पूरे पर्यावरण और इकोसिस्टम को प्रभावित कर रहे हैं मतलब जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर रहे हैं. मनुष्य की मूर्ख आदतों से पृथ्वी पर स्वाभाविक रूप से सुंदर वातावरण दिन-ब-दिन बिगड़ता जा रहा है. प्रदूषण सबसे गंभीर मुद्दा बन गया है और हर किसी को अपने दैनिक जीवन में स्वास्थ्य सम्बंधि बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है.
इस पुरे ब्रह्माण्ड में केवल पृथ्वी ही एक ऐसा ग्रह है जहा जिंदगी के सभी संसाधन उपलब्ध है. इस ग्रह ने हमें जिंदगी दी और हमने इस ग्रह को प्रदूषित किया. इस से तो बेहतर है की हम इस ग्रह को बदलने की कोशिश ही न करे. हम दशको से पृथ्वी को प्रदूषित कर रहे है. हम सभी इसी ग्रह पर रहते है इसीलिये हमारी यह जवाबदारी है की हम इसे स्वस्थ और प्रदुषणरहित रखे. लेकिन हम अपने दैनिक कामो को चलते इतने व्यस्त हो गये की हम हमारी जिम्मेदारियों को ही भूल गये. साफ़ पानी और शुद्ध हवा हमारी स्वस्थ जिंदगी के लिये बहोत जरुरी है. लेकिन आज के आधुनिक युग में इन दो में से एक भी संसाधन साफ़ और शुद्ध नही. अगर ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले सालो में इस ग्रह पर कोई जिंदगी नही रहेगी.
पृथ्वी पर सभी प्राकृतिक गैसो का संतुलन बने रहना बहोत जरुरी है. और ये संतुलन पदों से ही बना रहता है लेकिन हम अपने स्वार्थ के लिये पेड़ो को काट रहे है. जरा सोचिये की यदि इस ग्रह पर पेड़ ही न रहे तो क्या होगा, पेड़ हमारे द्वारा छोड़ी गयी गैस कार्बोन डाइऑक्साइड को ग्रहण करते है और ओक्सिज़न को छोड़ते है. यदि पेड़ इस दुनिया में नही होंगे तो वातावरण में कार्बोन डाइऑक्साइड का प्रमाण बढ़ जायेगा, और इससे ग्लोबल वार्मिंग का खतरा भी बढ़ जायेगा. प्राकृतिक संसाधनों के साथ छेड़-छाड़ करने से प्राकृतिक आपदाये भी आ सकती है. आज के आधुनिक युग में हमने औद्योगिक विकास तो कर ही लिया है लेकिन प्राकृतिक विकास हम नही कर पाये. हम औद्योगिक विकास करने के चक्कर में हमारी प्रकृति को ही भूल गये. और इसी वजह से आज दुनिया में अलग-अलग तरह की बीमारिया उत्पन्न हो रही है. औद्योगीकरण की वजह से जीवन रक्षा प्रणाली तेजी से जीवन विनाशी प्रणाली में परिवर्तित हो रही है.
afzalazhar:
Thanks
Similar questions