परीक्षा से पहले मेरी मनोदशा पर अनुच्छेद 80 से 100 तक |
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परीक्षा से पहले मेरी मनोदशा (अनुच्छेद)
परीक्षा का डर सबके मन में समाया रहता है> कोई कितनी भी अच्छी तैयारी कर ले लेकिन परीक्षा के समय मन में एक अजीब सा भय व्याप्त हो जाता है। मैंने पूरे साल अच्छी पढ़ाई की थी और मेरी पूरी तैयारी हो चुकी थी। लेकिन जैसे ही परीक्षा नजदीक आई और मेरे मन में अजीब सा डर बैठता चला गया। मैंने जो तैयारी की थी उसमें से बहुत कुछ भूलना शुरु कर दिया। मैं बार-बार अपना रिवीजन करने की कोशिश करता, लेकिन वह डर मेरे पर हावी हो जाता और मैं भली-भांति रिवीजन नहीं कर पाता था।
जिस दिन मेरा पहला पेपर था उस दिन मेरा दिल जोर से धड़क रहा था। उस पेपर की अच्छी तैयारी होने के बाद जो मैं धड़कते दिल से परीक्षा केंद्र में प्रवेश किया। जब परीक्षा कक्ष में पेपर बंटने शुरू हुए तो मेरे हाथ हल्के से काँप रहे थे।
परीक्षा प्रश्न पत्र सामने आया और पूरा प्रश्नपत्र पढ़ने के बाद थोड़ी राहत महसूस हुई और मैंने जल्दी जल्दी लिखना शुरु कर दिया। मैने अच्छी तरह से अपना उत्तर पुस्तिक लिख दी। अब मेरा डर थोड़ा कम हो चुका था। दूसरे पेपर में मुझे कम डर लग रहा था। धीरे मेरा आत्मविश्वास बढ़ता गया और मैंने सारे पेपर अच्छे से दिए।
जब कोई परीक्षा खत्म हो गई तब मुझे समझ आया कि हमें अपने ऊपर विश्वास बनाए रखना चाहिए और डर को अपने ऊपर कभी हावी नहीं होने देना चाहिए। नहीं तो यह हमारी मेहनत पर पानी फिर सकता है।
Answer:
ans
Explanation:
छात्र जीवन , जीवन का सबसे सुनहरा दौर होता है। जब बच्चे मौज-मस्ती के साथ-साथ खूब मेहनत कर अपने जीवन को एक दिशा देने के लिए प्रयासरत रहते है। लेकिन इस जीवन में “परीक्षा” नाम के एक शब्द से सभी छात्रों को बहुत अधिक डर लगता है। हो भी क्यों ना , क्योंकि इन्हीं परीक्षाओं के मूल्यांकन के आधार पर हमारे भविष्य की रूपरेखा तय होती हैं। इसीलिए जैसे-जैसे मेरी परीक्षायें नजदीक आ रही थी । मेरे अंदर डर बढ़ता जा रहा था।
हालाँकि अब मैं अपना अधिक समय पढ़ाई में ही बिता रहा था। हर विषय के हर अध्याय को बार-बार दोहरा कर याद करने की कोशिश कर रहा था। फिर भी मुझे यह डर लग रहा था कि कहीं परीक्षा की घबराहट में , मैं कुछ भूल न जाऊं। परीक्षा का तनाव कम करने के लिए मैं शाम को थोड़ी देर के लिए पास के ही एक पार्क में घूमने चला जाता था । परीक्षा शुरू होने के लगभग एक सप्ताह पहले ही मैंने अपने हर विषय की पर्याप्त तैयारी कर ली थी। लेकिन फिर भी मन में परीक्षा को लेकर तरह-तरह की आशंकाएं थी।
आखिरकार परीक्षा का दिन आ पहुंचा। मैं सुबह जल्दी उठकर अपनी सारी तैयारी के साथ परीक्षा भवन में पहुंच गया। प्रश्नपत्र मिलने से पहले भी मन में डर समाया हुआ था लेकिन मैंने अपने आप को तनावमुक्त रखने का भरसक प्रयास किया। आखिरकार हमारे क्लास टीचर ने हमें प्रश्नपत्र दिया। प्रश्न पत्र लेने के बाद मैंने हर प्रश्न को ध्यान से पढ़ना शुरू किया और 10 मिनट तक पढ़ता चला गया ।