Psychology, asked by PragyaTbia, 1 year ago

परामर्श से आप क्या समझते हैं? एक प्रभावी परामर्शदाता की विशेषताओं का वर्णन कीजिए I

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Answered by TbiaSupreme
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"परामर्श दो व्यक्तियों के बीच संप्रेषण का एक व्यवहार है, जिसमें एक व्यक्ति विशेषज्ञता लिए होता है जो परामर्शदाता कहलाता है। वो सेवार्थी अर्थात दूसरे व्यक्ति के विचार, भावनाओं, दृष्टिकोण, व्यक्तिगत कौशल एवं योग्यता के आधार पर मार्गदर्शन करता है जिससे कि दूसरा व्यक्ति सकारात्मक रूप से अपना विकास कर सके या अपनी समस्या का समाधान पा सकें।

एक प्रभावी परामर्शदाता का उत्तर दायित्व बनता है कि वह सेवार्थी अर्थात परामर्श प्राप्त करने वाले व्यक्ति के उद्देश्यों की पूर्ति करता हो। उसके द्वारा दिए गए परामर्श से व्यक्ति को अधिकतम लाभ प्राप्त हो। एक सफल एवं प्रभावी परामर्श के लिये परामर्शदाता की योग्यता, उसके व्यवहार, अभिवृत्ति एवं उसके व्यक्तिगत गुणों एवं कौशल पर निर्भर करती है।

एक प्रभावी  परामर्शदाता के गुण निम्नलिखित होने चाहिए।

(1) प्रामाणिकता-एक प्रभावी परामर्शदाता को सेवार्थी की समस्या की प्रकृति एवं स्रोत को पहचानना आना चाहिये। वो सेवार्थी के नकारात्मक भावों की खोज कर सके ताकि उन्हें सकारात्मक दृष्टिकोण में परिवर्तित कर प्रोत्साहित कर सके।

व्यवहारपरक-परामर्शदाता को अपने व्यवहार की अभिव्यक्ति के प्रति सुनिश्चित होना चाहिए। सेवार्थी को तब तक अपनी अनुक्रिया ना दे, जब तक उसकी बात को पूरी तरह समझ ना जाए। उसे सेवार्थी को पूर्ण अवसर देना चाहिए कि वह अपनी बात को जैसा वह महसूस करता है उस ढंग से कह सके।  

तदनुभूति-यह एक ऐसा कौशल है जिसमें सेवार्थी की भावना को उसके परिप्रेक्ष्य में ही समझा जा सकता है। उदाहरण  किसी की समस्या की पीड़ और भावना को तभी समझ सकते हैं, जब ऐसा महसूस करें वह स्थिति हम पर ही गुजर रही है।

प्रत्युत्तर-इस प्रक्रिया में परामर्शदाता सेवार्थी की समस्या की प्रकृति को समझ कर उसके समाधान के प्रारूप को तैयार कर चुका होता है। ऐसे में उसे अपनी योग्यता का परिचय देते हुए सही शब्दों का चुनाव कर अपने विचार एव्ं संभावनाएं प्रस्तुत करनी होती है।

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Answered by suggulachandravarshi
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Answer:

प्रामाणिकता-एक प्रभावी परामर्शदाता को सेवार्थी की समस्या की प्रकृति एवं स्रोत को पहचानना आना चाहिये। वो सेवार्थी के नकारात्मक भावों की खोज कर सके ताकि उन्हें सकारात्मक दृष्टिकोण में परिवर्तित कर प्रोत्साहित कर सके। व्यवहारपरक-परामर्शदाता को अपने व्यवहार की अभिव्यक्ति के प्रति सुनिश्चित होना चाहिए।

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