Science, asked by rk1504449, 5 months ago

परिप्य में वितिर लाने के लिए अमीण ने माने वाली दचि
बताओ?​

Answers

Answered by Braɪnlyємρєяσя
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Explanation:

जब इन्सान इशा की नमाज़ पढ़ ले, तो उसी समय से वित्र की नमाज़ का समय आरम्भ हो जाता है, अगरचे इशा की नमाज़ मग़्रिब की नमाज़ के साथ इकट्ठा कर पढ़ी गई हो, और उसका समय फज्र के उदय होने तक रहता है। क्योंकि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का फरमान है :

‘‘إِنَّ اللَّهَ قَدْ أَمَدَّكُمْ بِصَلاةٍ وهي الْوِتْرُ جَعَلَهُ اللَّهُ لَكُمْ فِيمَا بَيْنَ صَلاةِ الْعِشَاءِ إِلَى أَنْ يَطْلَعَ الْفَجْرُ’’

''निःसंदेह अल्लाह ने तुम्हें एक (अतिरिक्त) नमाज़ प्रदान की है, और वह वित्र है, जिसे अल्लाह ने तुम्हारे लिए इशा की नमाज़ और फज्र उदय होने के बीच में निर्धारित किया है।'' इस हदीस को तिर्मिज़ी (हदीस संख्याः 425) ने रिवायत किया है और शैख अल्बानी ने “सहीहुत्तिर्मिज़ी” में इसे सहीह क़रार दिया है।

क्या वित्र को प्रथम समय में पढ़ना अफज़ल है या उसे विलंब कर के पढ़ना बेहतर है?

सुन्नत इस बात पर दलालत करती है कि जिस व्यक्ति को रात के आख़िरी हिस्से में जागने की उम्मीद हो तो उसके लिए वित्र को विलंब करके पढ़ना अफज़ल (सर्वश्रेष्ठ) है, क्योंकि रात के अंतिम हिस्से की नमाज़ सर्वश्रेष्ठ है, और इसमें फरिश्ते उपस्थित होते हैं। और जिस व्यक्ति को यह भय हो कि वह रात के आखिरी हिस्से में नहीं उठ पाएगा, तो वह सोने से पहले वित्र पढ़ ले। इसका प्रमाण जाबिर रज़ियल्लाहु अन्हु की यह हदीस है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया :

‘‘مَنْ خَافَ أَنْ لَّا يَقُومَ مِنْ آخِرِ اللَّيْلِ فَلْيُوتِرْ أَوَّلَهُ وَمَنْ طَمِعَ أَنْ يَقُومَ آخِرَهُ فَلْيُوتِرْ آخِرَ اللَّيْلِ فَإِنَّ صَلاةَ آخِرِ اللَّيْلِ مَشْهُودَةٌ وَذٰلِكَ أَفْضَلُ’’

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