परोपकार की भावना लोक कल्याण से पूर्ण होती है हमें भी परोपकार की जीवन जीना चाहिए इस कथन को स्पष्ट करते हुए लिखिए
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परोपकार की भावना लोक कल्याण से पूर्ण होती है हमें भी परोपकार की जीवन जीना चाहिए ,,
हमें मनुष्य को भी पेड़ – पौधों की तरह परोपकार बनना चाहिए | सब की मदद करनी चाहिए| सब के साथ प्रेम से रहना चाहिए | यही जीवन जीने का सही रास्ता है | दूसरों को ख़ुशी देना और भला करना ऐसा करने से अपने आप को जीवन में आनन्द आता है | अपने लिए तो हम जीते ही है| कभी-कभी हमें दूसरों के लिए जीना चाहिए और खुशियाँ देनी चाहिए|
परोपकार एक भावना है और हर मनुष्य के अंदर होनी चाहिए | हमें सब की सेवा करनी चाहिए| हमारे साथ भी अच्छा होगा जब हम सब के साथ दया भावना रखेंगे | हमें जीवन सादगी , अच्छाई , शांति सुखी से व्यतीत करना चाहिए | हम मनुष्य को परोपकारी बनना चाहिए| अच्छे कर्म करने चाहिए और स्वार्थ की भावना को त्याग देना चाहिए| परोपकार की भावना लोक कल्याण होता है| आपसी सहयोग बनाता है| आपस में एकता होती है| जीने का आधार है परोपकार |