परोपकार के संबंध में स्वामी विवेकानंद ने क्या कहा है?
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“परोपकार में हमारा ही उपकार है” स्वामी विवेकानंद की लोकप्रिय पुस्तक “कर्मयोग” (Karma Yoga) का पाँचवाँ अध्याय है। इसमें स्वामी जी बता रहे हैं कि परोपकार से दरअस्ल हमारा ही भला होता है और हमारी आध्यात्मिक उन्नति होती है। संसार का हित करने की शक्ति हममें नहीं है। परहित वस्तुतः आत्महित ही है।
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“परोपकार में हमारा ही उपकार है” स्वामी विवेकानंद की लोकप्रिय पुस्तक “कर्मयोग” (Karma Yoga) का पाँचवाँ अध्याय है। इसमें स्वामी जी बता रहे हैं कि परोपकार से दरअस्ल हमारा ही भला होता है और हमारी आध्यात्मिक उन्नति होती है। संसार का हित करने की शक्ति हममें नहीं है। परहित वस्तुतः आत्महित ही है।
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