Hindi, asked by sarikaaashish0202, 2 months ago

परोपकार करते हुए कष्ट सहना ही पड़ता है, परंतु इसमें भी परोपकारी को आत्मसंतोष और विशेष सुख मिलता है । माँ कष्टन
उठाए, तो शिशु का कल्याण नहीं होगा। वृक्ष पुराने पत्तों का मोह त्यागे नहीं, तो नव पल्लवों के दर्शन असंभव हैं । पिता यदि
इकट्ठा न करे, तो उनके बच्चे बचेंगे कैसे? पिता-माता, वृक्ष, पक्षियों का कष्ट, कष्ट नहीं, वे तो परहित के लिए पीड़ित हैं।
दिनभर कष्ट सहकर धन अर्जित न करें, तो परिवार का पोषण कैसे होगा? पक्षी कष्ट सहकर भी अपने शिशुओं के लिए आहा
अत: उस पीड़ा में भी वे आनंद मानते हैं । परोपकार करने से आत्मा प्रसन्न होती है । परोपकारी दूसरों की सहानुभूति का पात्र बनता
है, समाज के दीन-हीन, पीड़ित वर्ग को जीवन का अवसर देकर समाज में सम्मान प्राप्त करता है, समाज के विभिन्न वर्गों में
शत्रुता, कटुता दूर कर शांतिदूत बनता है। धर्म के पथ पर समाज को प्रवृत्त कर ‘मुक्तिदाता' कहलाता है। जनता में देशभक्ति की
चिंगारी फूंकने वाला देश-रत्न' की उपाधि से अलंकृत होता है।
उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर निम्न प्रश्नों का उत्तर दीजिए-
(क) कष्ट सहकर भी परोपकार क्यों किया जाता है?
(ख) माता-पिता, वृक्ष, पक्षियों का कष्ट, कष्ट क्यों नहीं होता है ?
(ग) नए पत्ते कब दिखाई देते हैं?
(घ) 'देश-रत्न' की उपाधि से किसे सम्मानित किया जाता है ?
(ङ) उपर्युक्त गद्यांश का शीर्षक लिखिए।​

Answers

Answered by bhatiamona
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उपर्युक्त गद्यांश के निम्न प्रश्नों के उत्तर इस प्रकार है :

(क) कष्ट सहकर भी परोपकार क्यों किया जाता है?

उत्तर :कष्ट सहकर भी परोपकार इसलिए किया जाता है क्योंकि परोपकार करने से  परोपकारी को आत्मसंतोष और विशेष सुख मिलता है । परोपकार करने से दुनिया का सबसे बड़ा सुख मिलता है |

(ख) माता-पिता, वृक्ष, पक्षियों का कष्ट, कष्ट क्यों नहीं होता है ?

उत्तर : पिता-माता, वृक्ष, पक्षियों का कष्ट, कष्ट नहीं, वे तो परहित के लिए पीड़ित हैं। दिनभर कष्ट सहकर धन इकट्ठा करते है , अपने परिवार को पालते है |

(ग) नए पत्ते कब दिखाई देते हैं?

उत्तर : जब पेड़ पुराने पत्तों का मोह त्याग करता है , तब उसे ने पत्ते दिखाई देते है | उसी प्रकार जब जीवन में मनुष्य मोह त्याग करके अपने जीवन में आगे बढ़ता है तब उसे खुशियाँ मिलती है |

(घ) 'देश-रत्न' की उपाधि से किसे सम्मानित किया जाता है ?

उत्तर : देश-रत्न' की उपाधि उस मनुष्य को मिलनी चाहिए माज के दीन-हीन, पीड़ित वर्ग को जीवन का अवसर देकर समाज में सम्मान प्राप्त करता है, समाज के विभिन्न वर्गों में शत्रुता, कटुता दूर कर शांतिदूत बनता है। धर्म के पथ पर समाज को प्रवृत्त कर ‘मुक्तिदाता' कहलाता है। जनता में देशभक्ति की चिंगारी फूंकने वाला देश-रत्न' की उपाधि से अलंकृत होता है।

(ङ) उपर्युक्त गद्यांश का शीर्षक लिखिए।​

उत्तर : उपर्युक्त गद्यांश का शीर्षक परोपकार सबसे बड़ा धन है |

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