'परोपकार' विषय पर आधारित और दो कविताओ और दो दोहों का संकलन कीजिए
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‘परोपकार’ विषय पर दो कवितायें और दो दोहे
कविता - 1
जीवन में परोपकार करो,
तुम सब का उद्धार करो।
जीवन में परोपकार करो,
लोगों का बेड़ा-पार करो।
जब कमजोरों की मदद करोगे,
उनके काम आयोगे तुम।
दुआयें मिलेगी, आशीष मिलेगा,
मिटाओगे जो उनके गम।
अपने लिये बहुत जी लिये,
अब कर लो कुछ उपकार।
नाम तुम्हारा रह जायेगा,
जब छोड़ोगे ये संसार।
— शिशिर
कविता - 2
ये सूरज, ये चाँद, ये तारे,
ये धरती, ये नदिया, ये पवन।
परोपकार की जिंदा मिसाल हैं,
ये खेत, ये पेड़, ये वन-उपवन।
नदियाँ पानी स्वयं नही पीतीं,
पेड़ अपने फल स्वयं न खाता।
सूरज खुद को प्रकाश न देता,
चाँद खुद के लिये शीतलता न लाता।
ये सब परोपकार कर रहे,
इस धरती के मानव पर।
नही करते ये भेद कभी भी,
धरती हो या हो अंबर।
— शिशिर
दोहा - 1
स्वारथ सूका लाकड़ा, छांह बिहना सूल।
पीपल परमारथ भजो, सुख सागर को मूल।।
— कबीर
दोहा -2
वे रहीम नर धन्य हैं, पर उपकारी अंग।
बांटन वारे को लगे, ज्यों मेंहदी को रंग।।
— रहीम
Answer:
संत कबीर दास के दोहे-परोपकार पर ही यश मिलना संभव है |
1 ) जो कोई करै सो स्वार्थी, अरस परस गुन देत
बिन किये करै सो सूरमा, परमारथ के हेत।
कबीर जी कहते है : जो अपने हेतु किए गए के बदले में कुछ करता है वह स्वार्थी है।
जो किसी के किए गए उपकार के बिना किसी का उपकार करता है। वह परमार्थ के लिये करता है। हमें हमेशा सब की मदद करनी चाहिए | और बदले की भावना नहीं रहनी चाहिए |
2 ) सुख के संगी स्वार्थी, दुख मे रहते दूर
कहे कबीर परमारथी, दुख सुख सदा हजूर।
कबीर जी कहते है : स्वार्थी व्यक्ति सुख का साथी होता है। वह दुख के समय दूर ही रहते है।
कबीर कहते हैं कि एक परमार्थी सर्वदा सुख-दुख में साथ निभाते है। परोपकारी मनुष्य सर्वदा सुख-दुख में साथ निभाते है।
परोपकार पर कविता
(1 ) वृक्ष
जब भी हम-आप किसी किताब को खोलते हैं और पढ़ते हैं,
तो एक वृक्ष मुसकुराकर संदेश देता है,
कि मृत्यु के बाद भी जीवन होता है,
भले ही संदेश का यह संकेत हम न समझ पाते हों,
पर यह तो सच है,
कि वृक्ष का जीना भी परोपकार के लिए होता है,
और उसका मरना भी परोपकार के लिए ही होता है|
इस कविता में वृक्ष जो हमेशा परोपकार करता है मनुष्य से लेकर जानवरों , पक्षियों पर | वह हमें छाया देता है | और सर्दी में बचने के लिए लकड़ी | वृक्ष का जीवन एक परोपकार है|
(2 ) परोपकार प्रेम है, शुद्ध प्रेम है ...
ऊपर से एक पवित्र उपहार
हम जीते हैं कि हर दिन चमकती है,
हमें उठाने के लिए, क्षमा करें
और एक दूसरे की सेवा करो, आओ, क्या हो सकता है
भगवान के नियत तरीके से
यह उन दिलों में प्रवेश करता है जो खुले होते हैं,
अंदर के उद्धारकर्ता के प्रकाश की बोली लगाना
गर्म करना और आशीर्वाद देना
अच्छाई, शांति और खुशी के साथ।
आशा और उदात्त चीजों में पंख लगाए,
उस अनुग्रह पर पैदा हुआ जो देने से…
दान प्यार है, पंखों के साथ।
यह कविता हमें बताती है परोपकार एक भावना है और हर मनुष्य के अंदर होनी चाहिए |
हमें सब की सेवा करनी चाहिए , हमारे साथ भी अच्छा होगा जब हम सब के साथ दया भावना रखेंगे | हमें जीवन सादगी , अच्छाई , शांति सुखी से व्यतीत करना चाहिए |