परंपरावादी दृष्टिकोण अनुसार राजनीतिक शास्त्र किस ध्यान करता है
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ईसा पूर्व छठी सदी से 20वीं सदी में लगभग द्वितीय महायुद्ध से पूर्व तक जिस राजनीतिक दृष्टिकोण (political approach) का प्रचलन रहा है, उसे अध्ययन सुविधा की दृष्टि से 'परम्परागत राजनीतिक दृष्टिकोण' कहा जाता है। इसे आदर्शवादी या शास्त्रीय दृष्टिकोण भी कहा जाता है।
परम्परागत राजनीतिक सिद्धांत के निर्माण व विकास में अनेक राजनीतिक विचारकों का योगदान रहा है यथा- प्लेटो, अरस्तू, सिसरो, सन्त अगस्टीन, एक्विनास, लॉक, रूसो, मॉन्टेस्क्यू, कान्ट, हीगल, ग्रीन आदि। आधुनिक युग में भी अनेक विद्वान परम्परागत दृष्टिकोण के समर्थक माने जाते है जैसे- लियो स्ट्रॉस, ऐरिक वोगोलिन, ऑकसॉट, हन्ना आरेण्ट आदि।
प्राचीन यूनान व रोम में राजनीतिक सिद्धान्त के निर्माण के लिये दर्शनशास्त्र, नीतिशास्त्र, तर्कशास्त्र, इतिहास व विधि की अवधारणाओं को आधार बनाया गया था किन्तु मध्यकाल में मुख्यतः ईसाई धर्मशास्त्रीय दृष्टिकोण को राजनीतिक सिद्धान्त के निर्माण का आधार बनाया गया। 16वीं सदी में पुनर्जागरण आन्दोलन ने बौद्धिक राजनीतिक चेतना को जन्म दिया साथ ही राष्ट्र-राज्य अवधारणा को जन्म दिया। 18 वीं सदी की औद्योगिक क्रांति ने राजनीतिक सिद्धान्त के विकास को नई गति प्रदान की। इंग्लैण्ड की गौरवपूर्ण क्रांति, फ्रांस व अमेरिका की लोकतांत्रिक क्रांतियों ने परम्परागत राजनीतिक सिद्धान्त का विकास ’उदारवादी लोकतांत्रिक राजनीतिक सिद्धांत’ के रूप में किया।
परम्परागत राजनीतिक दृष्टिकोण ने राजनीतिक सिद्धान्त के निर्माण के लिये मुख्यतः दार्शनिक, तार्किक नैतिक, ऐतिहासिक व विधिक पद्धतियों को अपनाया है। 19वीं सदी से इसने विधिक, संवैधानिक, संस्थागत, विवरणात्मक एवं तुलनात्मक पद्धतियों पर विशेष बल दिया है। 20वीं सदी के प्रारंभ से ही परम्परागत दृष्टिकोण ने राजनीतिक सिद्धान्त के निर्माण के लिये एक नई दृष्टि अपनाई जो अतीत की तुलना में अधिक यथार्थवादी थी। परम्परागत राजनीतिक विज्ञान में सरकार एवं उसके वैधानिक अंगों के बाहर व्यवहार में सरकार की नीतियों एवं निर्णयों को प्रभावित करने वाले सामाजिक राजनीतिक तथ्यों के अध्ययन पर बल दिया। राजनीतिक दलएवम् दबाबसमूहों के साथ-साथ औपचारिक संगठनों के अध्ययन पर बल दिया। इसने उन सामाजिक, आर्थिक परिस्थितियों एवं आन्दोलनों के अध्ययन पर भी बल दिया जो स्पष्टतः सरकार के औपचारिक संगठन से बाहर तो होते हैं किन्तु उसकी नीतियों एवं कार्यक्रमों को प्रभावित करते हैं।
अर्थ एवं परिभाषा
’राजनीति’ का पर्यायवाची अंग्रेजी शब्द 'पॉलिटिक्स' यूनानी भाषा के 'पॉलिस' (Polis) शब्द से बना है जिसका अर्थ 'नगर’ अथवा ’राज्य’ है। प्राचीन यूनान में प्रत्येक नगर एक स्वतंत्र राज्य के रूप में संगठित होता था और पॉलिटिक्स शब्द से उन नगर राज्यों से सम्बंधित शासन की विद्या का बोध होता था। धीरे-धीरे नगर राज्यों (सिटी स्टेट्स) का स्थान राष्ट्रीय राज्योंं (Nation-State) ने ले लिया अतः राजनीति भी राज्य के विस्तृत रूप से सम्बंधित विद्या हो गई।
आधुनिक युग में जब संसार प्रत्येक विषय के वैज्ञानिक व व्यवस्थित अध्ययन की ओर झुक रहा है, राज्य से सम्बंधित विषयों का अध्ययन राजनीति शास्त्र अथवा राजनीति विज्ञान कहा जाता है। परम्परागत राजनीति विज्ञान के विद्वानों ने राजनीति विज्ञान की भिन्न-भिन्न परिभाषाएॅ दी हैं। इन परिभाषाओं की निम्नांकित शीर्षकों के अन्तर्गत व्याख्या की जा सकती हैः