परिश्रम के महत्व पर एक लघु कथा
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परिश्रम के महत्व पर एक लघु कथा निम्न प्रकार से लिखी गई है।
रामपुर नामक गांव में किशन नाम का एक किसान रहता था। वर्षो से मेहनत व लगन से उसने खेती बाड़ी का काम आगे बढ़ाया था।
किशन के चार बेटे थे , अब किशन वृद्ध हो चला था इसलिए वह चाहता था कि अब खेती का काम उसके बेटे संभाले परन्तु उसके चारो बेटे बहुत आलसी थे इसलिए उसे चिंता लगी रहती थी।
कुछ दिनों बाद किशन बहुत बीमार पड़ गया । उसने अपने चारों बेटों को बुलाया व कहा कि खेतों में खजाना गड़ा हुआ है , मेरी मृत्यु के पश्चात तुम चारों मिलकर खेतों की खुदाई करना व उस खजाने को चारों आपस ने बांट लेना।
किसान की मृत्यु के बाद उसके चारों बेटों ने खेतों कि खुदाई की किन्तु उन्हें कोई खजाना न मिला , पड़ोस के भीखू काका , जो किशन के बहुत अच्छे मित्र थे, ने कहा कि अब जब खेतों की खुदाई हो गई है तो बीज भी बो लो। चारों ने बुआई भी कर दी। खेतों को रोज पानी भी दिया जाने लगा , समय आने पर खेत फसलों से लहलहाने लगे। फसल देखकर चारों पुत्र बहुत खुश हुए। अब भीखू काका और कहा कि तुम्हारे पिताजी इसी खजाने की बात कर रहे थे। अब फसल की कटाई का काम करो और चारों आपस मै बांट लो और शहर जाकर फसल बेच दो। उससे जो पैसे मिले , घर खर्च चलाओ व खेती का काम बढ़ाओ।
अब किसान के बेटों को समझ अा गई। असली खजाना उन्हें मिल चुका था तथा परिश्रम का महत्व अनहद समझ में अा गया था। उन चारों ने निश्चय किया कि आलस छोड़कर चारो मेहनत से खेती करेंगे।
#SPJ1
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Explanation:किसी गावं में एक लकडहारा रहता था, वह अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए दिन-रात परिश्रम करता, परन्तु फिर भी अभावों से घिरा रहता उसके एक दैनिक कर्म को और उसके परिश्रम को एक महात्मा देखता रहा एक दिन महात्मा ने उससे कहा बालक! आगे चलो…आगे चलो…ओर आगे चलो…
लकडहारा जहां पहले जाता था, उससे कुछ ओर आगे बढ़ गया उसे वहां एक चंदन वन दिखाई दियाl वह लकड़ियां काट लाया चन्दन की लकड़ियां खूब महंगी बिकीं, फिर एक दिन वही महात्मा मिले उन्होंने लकडहारे को समझाया, बालक जीवन में एक ही स्थान पर मत रूको…चलते रहो… नदी के जल के समान चलते रहोगे तो साफ-सुथरे व स्वस्थ रहोगे तालाब के जल के समान रूक गए तो सड़ जाओगे अत: तुम चलते रहो, बढ़ते रहो, आगे आगे और आगे…
लकडहारे ने विचार किया और वह चन्दन वन से और आगे बढ़ गया आगे चलकर उसे तांबे की खान मिली और उसने बहुत धन कमाया आगे चलकर उसे चांदी की खान मिल गई और वह मालामाल हो गया। एक दिन फिर उसे वही महात्मा मिले वह बड़े प्यार से समझाने लगे, बालक यहीं मत रूकना… आगे चलते रहना जैसे आगे बढ़ते-बढ़ते तुमने धन और वैभव पाया है, वैसे ही धर्म के राज्य में होता है।
अब लकडहारा और आगे बढ़ने लगा परिणाम-स्वरूप उसे सोने की खान मिली, उसने खूब धन कमाया फिर वह और आगे बढ़ा, उसे हीरों की खान मिली अब वह बड़ा धनवान बन गया उसके आनंद की सीमा न थी।