Hindi, asked by bajajvinod221, 5 months ago

परिश्रम का महत्व पर लेक​

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Answered by MadhavKumar9350
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Answered by HinaKhan0001
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✌️परिश्रम का महत्व✌️

भूमिका :- मनुष्य के जीवन में परिश्रम का बहुत महत्व होता है। हर प्राणी के जीवन में परिश्रम का बहुत महत्व होता है। इस संसार में कोई भी प्राणी काम किये बिना नहीं रह सकता है। प्रकृति का कण-कण बने हुए नियमों से अपना-अपना काम करता है। चींटी का जीवन भी परिश्रम से ही पूर्ण होता है। मनुष्य परिश्रम करके अपने जीवन की हर समस्या से छुटकारा पा सकता है| सूर्य हर रोज निकलकर विश्व का उपकार करता है।

ऐसा कोई भी कार्य नहीं है जो परिश्रम से सफल न हो सकें। जो पुरुष दृढ प्रतिज्ञ होते हैं उनके लिए विश्व का कोई भी कार्य कठिन नहीं होता है। वास्तव में बिना श्रम के मानव जीवन की गाड़ी चल नहीं सकती है। श्रम से ही उन्नति और विकास का मार्ग खुल सकता है। परिश्रम और प्रयास की बहुत महिमा होती है। अगर मनुष्य परिश्रम नहीं करता तो आज संसार में कुछ भी नहीं होता। आज संसार ने जो इतनी उन्नति की है वह सब परिश्रम का ही परिणाम है।

परिश्रम और भाग्य :- कुछ लोग परिश्रम की जगह भाग्य को अधिक महत्व देते हैं। ऐसे लोग केवल भाग्य पर ही निर्भर होते हैं। वे भाग्य के सहारे जीवन जीते हैं लेकिन उन्हें यह नहीं पता होता है कि भाग्य जीवन में आलस्य को जन्म देता है और आलस्य जीवन मनुष्य के लिए एक अभिशाप की तरह होता है। वे लोग यह समझते हैं कि जो हमारे भाग्य में होगा वह हमें अवश्य मिलेगा। वे परिश्रम करना व्यर्थ समझते हैं।

भाग्य का हमारे जीवन में बहुत महत्व होता है लेकिन आलसी बनकर बैठे हुए असफलता के लिए भगवान को कोसना ठीक बात नहीं है। आलसी व्यक्ति हमेशा दूसरों के भरोसे पर जीवन यापन करता है। वह अपने हर काम को भाग्य पर छोड़ देता है। हमारे इसी भाव की वजह से भारत देश ने कई वर्षों तक गुलामी की थी। परिश्रम से कोई भी मनुष्य अपने भाग्य को भी बदल सकता है।

परिश्रम का महत्व :- परिश्रम का बहुत अधिक महत्व होता है। जब मनुष्य के जीवन में परिश्रम खत्म हो जाता है तो उसके जीवन की गाड़ी रुक जाती है। अगर हम परिश्रम न करें तो हमारा खुद का खाना-पीना, उठना-बैठना भी संभव भी नहीं हो पायेगा। अगर मनुष्य परिश्रम न करे तो उन्नति और विकास की कभी कल्पना ही नहीं की जा सकती थी। आज के समय में जितने भी देश उन्नति और विकास के स्तर पर इतने ऊपर पहुंच गये हैं वे भी परिश्रम के बल पर ही ऊँचे स्तर पर पहुँचे हैं।

परिश्रम से अभिप्राय होता है वो परिश्रम जिससे विकास और रचना हो। इसी परिश्रम के बल पर बहुत से देशों ने अपने देश को उन्नति और विकास के शिखर पर पहुँचा दिया है। जो परिश्रम व्यर्थ में किया जाता है उसका कोई अर्थ नहीं होता है। जिन व्यक्तियों के जीवन में आलस भरा होता है वे कभी भी जीवन में उन्नति नहीं कर सकते हैं। आज मनुष्य ने परिश्रम से अपने जीवन को उन्नति और विकास के शिखर पर पहुँचा लिया है। परिश्रम के बिना किसी भी प्राणी का जीवन व्यर्थ होता है।

परिश्रम की विजय :- किसी भी तरह से परिश्रम की ही विजय होती है। संस्कृत में एक उक्ति है – सत्यमेव जयते। इसका अर्थ ही होता है परिश्रम की विजय होती है। मनुष्य मानव प्रकृति का सर्वश्रेष्ठ प्राणी होते है। मनुष्य खुद ही भगवान का स्वरूप माना जाता है। जब मनुष्य परिश्रम करते हैं तो उनका जीवन उन्नति और विकास की तरफ अग्रसर होता है लेकिन उन्नति और विकास के लिए मनुष्य को उद्यम की जरूरत पडती है। उद्यम से ही मनुष्य अपने कार्य को सिद्ध करता है वह केवल इच्छा से अपने कार्य को सिद्ध नहीं कर सकते है।

परिश्रम के लाभ :- परिश्रम से मनुष्य के जीवन में अनेक लाभ होते हैं। जब मनुष्य जीवन में परिश्रम करता है तो उसका जीवन गंगा के जल की तरह पवित्र हो जाता है। जो मनुष्य परिश्रम करता है उसके मन से वासनाएं और अन्य प्रकार की दूषित भावनाएँ खत्म हो जाती हैं। जो व्यक्ति परिश्रम करते हैं उनके पास किसी भी तरह की बेकार की बातों के लिए समय नहीं होता है। जिस व्यक्ति में परिश्रम करने की आदत होती है उनका शरीर हष्ट-पुष्ट रहता है। परिश्रम करने से मनुष्य का शरीर रोगों से मुक्त रहता है।

महापुरुषों के उदाहरण :- हमारे सामने अनेक ऐसे महापुरुषों के उदाहरण हैं जिन्होंने अपने परिश्रम के बल पर अनेक असंभव से संभव काम किये थे। उन्होंने अपने राष्ट्र और देश का ही नहीं बल्कि पूरे विश्व का नाम रोशन किया था। अब्राहिम लिकंन जी एक गरीब मजदूर परिवार में हुए थे बचपन में ही उनके माता-पिता का देहांत हो गया था लेकिन फिर भी वे अपने परिश्रम के बल पर एक झोंपड़ी से निकलकर अमेरिका के राष्ट्रपति भवन तक पहुंच गये थे।

बहुत से ऐसे महापुरुष थे जो परिश्रम के महत्व को अच्छी तरह से समझते हैं। लाल बहादुर शास्त्री, महात्मा गाँधी और सुभाष चन्द्र जैसे महापुरुषों ने अपने परिश्रम के बल पर भारत को स्वतंत्र कराया था। डॉ सर्वपल्ली राधा कृष्ण जी अपने परिश्रम के बल पर ही राष्ट्रपति बने थे। ये सभी अपने परिश्रम से ही महान व्यक्ति बने थे।

आलस्य से हानियाँ :- आलस्य से हमारा जीवन एक अभिशाप बन जाता है। आलसी व्यक्ति ही परावलम्बी होता है। आलसी व्यक्ति कभी-भी पराधीनता से मुक्त नहीं हो पाता है। हमारा देश बहुत सालों तक पराधीन रह चुका है। इसका मूल कारण हमारे देश के व्यक्तियों में आलस और हीन भावना का होना था। जैसे-जैसे लोग परिश्रम के महत्व को समझने लगे वैसे-वैसे उन्होंने अपने अंदर से हीन भावना को खत्म कर दिया और आत्मविश्वास को पैदा किया। ऐसा करने से भारत देश एक दिन पराधीन से मुक्त होकर स्वतंत्र हो गया और लोग एक-दूसरे के प्रति प्रेम भाव रखने लगे।

उपसंहार :- जो व्यक्ति परिश्रमी होते हैं वे चरित्रवान, ईमानदार, परिश्रमी, और स्वावलम्बी होते हैं। अगर हम अपने जीवन की, अपने देश और राष्ट्र की उन्नति चाहते हैं तो आपको भाग्य पर निर्भर रहना छोडकर परिश्रमी बनना होगा। जो व्यक्ति परिश्रम करता है उसका स्वास्थ्य भी ठीक रहता है।

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