परिश्रम को सफलता की कुंजी माना गया है । जीवन में सफलता पुरुषार्थ से ही प्राप्त होती है। कहा भी गया है -उद्यमी पुरुष सिंह को लक्ष्मी वरन करती है । जो भाग्यवादी है उन्हें कुछ नहीं मिलता । वह हाथ-पर-हाथ धरे रह जाते हैं। अवसर उनके सामने से निकल जाता है। भाग्य कठिन परिश्रम का ही दूसरा नाम है । प्रकृति को ही देखिए । सारे जड़- चेतन अपने कार्य में लगे रहते हैं । चींटी को भी पल-भर चैन नहीं । मधुमक्खी जाने कितनी लंबी यात्रा कर बूंद बूंद मधु जुटाती है। मुर्गे को सुबह बांग लगानी ही है। फिर मनुष्य को बुद्धि मिली है, विवेक मिला है। वह निठल्ला बैठे तो सफलता की कामना करना व्यर्थ है ।विश्व में जो देश आगे बढ़ रहे हैं उनकी सफलता का रहस्य कठिन परिश्रम ही है। जापान को दूसरे विश्वयुद्ध में मिट्टी में मिला दिया गया था उसकी अर्थव्यवस्था छिन्न-भिन्न हो गई थी दिन-रात जी तोड़ श्रम करके वह पुनः विश्व का प्रमुख औद्योगिक देश बन गया । जर्मनी ने भी युद्ध की विभीषिकाएँ झेलीं , पर परिश्रम के बल पर संभल गया ।
लक्ष्मी किसके पास आती है ?
क) सिंह के पास
ख) वीर पुरुष के पास
ग) परिश्रमी के पास
घ) उद्योगपति के पास
2 हाथ-पर-हाथ धरना का क्या आशय है ?
क) निकम्मे बैठना
ख) आलसी होना
ग) आराम करना
घ) शांति से बैठना
3 विभिन्न जीवो का उदाहरण क्या सिद्ध करता है ?
क) सफलता
ख) परिश्रम
ग) प्रकृति के नियम
ध) विवेक
4 जापान के साथ क्या दुर्घटना घाटी थी ?
क) यह विश्वयुद्ध में हार गया था।
ख) वह खंडर हो गया था ।
ग) वह मिट्टी के नीचे दब गया था ।
घ) वह युद्ध में नष्ट हो गया था
5 उपयुक्त शीर्षक दीजिए –
क) परिश्रम बनाम सफलता
ख) सफलता की कुंजी
ग) परिश्रम सफलता का आधार
घ) सफलता
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Answer:
1) (ग) परिश्रमी के पास ।
2) (क) निकम्मे बैठना ।
3) (ख) परिश्रम ।
4) (क) यह विश्वयुद्ध में हार गया था।
5) (ग) परिश्रम सफलता का आधार ।
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