Hindi, asked by rshahu056, 5 months ago

पर्वत के पाव कब उखड़ जाते हैं​

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Answered by Anonymous
11

Answer:

पर्वत के जाते पाँव उखड़ :-

अर्थ :- यह पंक्तिकवि रामधारी सिंह दिनकर जी  की कविता ,वीर से ली गई  है | इन पंक्तियों में कवि कहते हैं कि अगर मनुष्य कुछ करने की ठान ले और उसे पूरा करने के लिए ज़मीन आसमान एक कर दे तो उसका उस कार्य मे सफल होना तय है |

इस कविता मे ने यह बताया है कि किस प्रकार विपत्ति मे वीर पुरुष साहस से काम लेते हे और कभी हिम्मत नही हारते वो कोशिश करते रहते है |

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Answered by AdityaRohan
8

Answer:

Answer. जब उत्साही व्यक्ति पूरे दम खम के साथ पर्वत को डकेलता है,तब पर्वत के पाव उखड़ जाते है।

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