पर्वतों में प्राकृतिक सुषमा विषय पर निबंध लिखिए
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प्रकृति में पर्वतों जैसे आकर्षक व दर्शनीय स्थल कम ही हैं। तैरते हुए बादलों के बीच बर्फ से ढकी हुई ऊंची-ऊंची पर्वतमालाएं मन को मोह लेती हैं। पर्वतों का आकर्षण सदैव अदभुत होता है। देवस्वरूप व पूजनीय पर्वत विस्मयकारी व सौंदर्य से भरपूर होते हैं और सैर-सपाटे के लिए आकर्षित करते हैं। 29 मई 1953 को न्यूजीलैंड के एडवर्ड हिलेरी व नेपाल के तेनजिंग नोरगे ने सर्वप्रथम हिमालय की चोटी माउंट एवरेस्ट पर विजय पताका फहरायी। 29,028 फीट लंबी संसार की यह सबसे ऊंची चोटी है जिसकी विजय किसी के लिए भी गर्व का विषय हो सकती है। हिलेरी ने इसे ”अति सुंदर समरूप हिम शंकु’’ बताया।
Explanation:
- जल संपदा
- धरती की सतह पर पाए जाने वाले कुल पानी का 80 प्रतिशत भाग पर्वतों में होता है। विश्व की अनेक नदियां पर्वतों से निकलती हैं। पर्वतीय जल संपदा केवल वहां के स्थानीय निवासियों के लिए ही नहीं अपितु धरती की आधी जनसंख्या को भी जल उपलब्ध कराती है।पर्वतों का जल चक्र में विशेष महत्व होता है। पर्वत वायुमण्डल से आर्द्रता को सोख लेते हैं जो बर्फ या हिम के रूप में बरसती है। यही हिम, वसंत व ग्रीष्म ऋतु में जल में परिवर्तित होकर औद्योगिक व अन्य कार्यों के लिये उस समय उपलब्ध होता है जब वर्षा कम होती है। इस युग जिसमें कि जल की आपूर्ति सीमित है तथा जल की प्राप्ति के लिये युद्ध की भी संभावना है, पर्वत न केवल पर्यावरण सुरक्षा बल्कि भूराजनैतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं।
- ऊर्जा
- पर्वत स्थानीय निवासियों के साथ ही निचले मैदानी क्षेत्रों के लिए भी अपार ऊर्जा के भंडार हैं। पर्वतों में मुख्य रूप से जल ऊर्जा, ईंधन हेतु लकड़ी, सौर तथा पवन ऊर्जा प्रचुर मात्रा में पाई जाती है।
- धातु व खनिज
- प्रकृति के जिन कारणों ने पर्वतों को लाखों वर्षों पूर्व स्थापित किया उन्होंने ही पर्वतों में धातु, खनिज तथा अन्य मूल्यवान पत्थरों को भी वहां संजोया। आज पर्वत शृंखलाएं अपने गर्भ में संसार के मुख्य भंडार के रूप में अनेक खनिज तथा धातुएं जैसे स्वर्ण, तांबा, लोहा, चांदी, जस्ता आदि को समेटे हुए है। तकनीकी विकास तथा मांग के अनुसार और अधिक मात्रा में पर्वतों के गर्भ से यह बहुमूल्य भंडार निकाला जा रहा है।
- जैव विविधता
- प्रायः ऊंची पर्वत शृंखलाओं की जलवायु ठंडी व वहां भोजन सीमित होता है। इसलिए वहां पर पशुओं तथा वनस्पतियों की कम प्रजातियां ही मिलती हैं। पर्वत उच्चस्तरीय जैव विविधता लिए अनजान टापू की तरह होते हैं जिनमें से अनेक में मनुष्य की दखलंदाजी नहीं हो पायी है। पर्वत अनेक पशुओं तथा वनस्पतियों के शरणस्थल बने हुए हैं, जिनका निचले क्षेत्र में मानव के अंधाधुंध विकास ने नष्ट कर दिया है।
- जलवायु
- पर्वतों में वायु तथा बादल को विभिन्न ऊंचाई के क्षेत्रों में पहुंचाने की विशिष्ट प्रवृत्ति होती है। वे निकटतम मैदानी क्षेत्रों में भी जलवायु को प्रभावित करने में सक्षम होते हैं। हिमपात के समय मैदानी क्षेत्रों में शीत लहर आ जाती है। पर्वतों की जलवायु को ऊर्ध्वाधर रूप में विभिन्न उप-क्षेत्रों में बांटा जा सकता है। पहाड़ी के नीचे के क्षेत्र में उष्ण जलवायु होती है जहां घने जंगलों का साम्राज्य होता है तो चोटियों पर सिर्फ बर्फ होती है।
- सांस्कृतिक विविधता
- विश्व पर्वतों की विशेष भूस्थिति ने सांस्कृतिक विविधता को जन्म दिया है। इसके फलस्वरूप पर्वतों पर मैदानी क्षेत्रों से अलग ही एक सभ्यता दिखाई देती है। पर्वतीय जन-जातियों ने अपनी पौराणिक संस्कृति को सुरक्षित रखा है और इसीलिये वहां पर वास्तु कला, जनजातीय संस्कृति, स्थानीय कलाओं व अंधविश्वास को कोई भी देख सकता है। स्थानीय लोगों को वहां की पारिस्थितिकी का अद्भुत ज्ञान होता है।
- पर्यटन व मनोरंजन
- हममें से अनेक पर्वतों पर छुट्टियां बिताना पसंद करते हैं। पर्वतों की सुन्दरता, स्वस्थ जलवायु, अलौकिक दृश्य, स्थानीय संस्कृति, सादगीभरा जीवन, तथा शीत खेलों के लिए उचित स्थान व अवसर, पर्वतों को पर्यटन व आमोद-प्रमोद का विशेष स्थान बनाते हैं। स्कीइंग, हाइकिंग, बर्फ व चट्टानों पर साहसिक अभियान, पक्षियों की अमूल्य प्रजातियों के दर्शन आदि पर्वतों के आर्कषण को विशेष रूप से बढ़ाते हैं।
- महत्वपूर्ण विशेषताएं
- संसार की कुल भूमि का 27 प्रतिशत भाग पर्वतीय वातावरण वाला होता है जो 22 प्रतिशत जनसंख्या को आश्रय देता है। असंख्य लोग जो नीचे के क्षेत्रों में रहते हैं, पर्वत उनको अप्रत्यक्ष रूप से अपनी अविरल सेवा जैसे जल, ऊर्जा, लकड़ी, आमोद-प्रमोद, मनोरंजन तथा जैव विविधता के संरक्षण की सुविधा प्रदान करता है। निश्चित रूप से यह सब पर्वतों की सुंदरता व उनके आलौकिक दृश्यों की छटा को और अधिक बढ़ाते हैं तथा सैलानियों को निरंतर उत्साहित करते हैं। हिम से ढकी हुई पर्वतीय चोटियां सदैव हिम खेलों को तथा नीचे के क्षेत्र ट्रैकिंग को उत्साहित करते हैं। जैसा कि हमने जाना है कि पर्वत भूमण्डलीय पारिस्थितिकी को संतुलित करने में भी सहायक होते हैं।
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