पर्यावरण प्रदूषण पर निबन्ध
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प्राचीन काल में प्रकृति और मानव के बीच भावनात्मक संबंध था। मानव अत्यंत कृतज्ञ भाव से प्रकृति के उपहारों को ग्रहण करता था। प्रकृति के किसी भी अवयव को क्षति पहुँचाना पाप समझा जाता था। बढ़ती जनसंख्या एवं भौतिक विकास के फलस्वरूप प्रकृति का असीमित दोहन प्रारम्भ हुआ। भूमि से हमने अपार खनिज सम्पदा, डीजल, पेट्रोल आदि निकाल कर धरती की कोख को उजाड़ दिया। वृक्षों को काट-काट कर मानव समाज ने धरती को नग्न कर दिया। वन्य जीवों के प्राकृतवास वनों के कटने के कारण वन्य-जीव बेघर होते गए। असीमित औद्योगीकरण के कारण लगातार जहर उगलती चिमनियों ने वायुमण्डल को विषाक्त एवं निष्प्राण बना दिया। हमारी पावन नदियाँ अब गंदे नाले का रूप ले चुकी हैं। नदियों का जल विशाक्त होने के कारण उसमें रहने वाली मछलियाँ एवं अन्य जलीय जीव तड़प-तड़प कर मर रहे हैं। बढ़ते ध्वनि प्रदूषण से कानों के परदों पर लगातार घातक प्रभाव पड़ रहा है। लगातार घातक रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग भूमि को उसरीला बनाता जा रहा है। पृथ्वी पर अम्लीय वर्षा का प्रकोप धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है तथा लगातार तापक्रम बढ़ने से पहाड़ों की बर्फ पिघल रही है जिससे पृथ्वी का अस्तित्व संकटग्रस्त होता जा रहा है।
पर्यावरण प्रदूषण आज विभिन्न घातक स्वरूपों में विद्यमान है जो मानव सभ्यता के अस्तित्व को चुनौती दे रहा है। स्थिति यहाँ तक आ गई है कि सृष्टि का भविष्य संकटग्रस्त है।
पर्यावरण प्रदूषण का अर्थ होता है पर्यावरण का विनाश। यानि की ऐसे माध्यम जिनके कारण हमारा पर्यावरण दूषित होता है। इसके प्रभाव से मनुष्य और प्राकृतिक दुनिया को ना भुगतना पड़े उससे पहले हमें इसके विषय में जानना और समझना होगा।
मुख्य प्रकार के पर्यावरण प्रदूषण हैं – वायु प्रदुषण, जल प्रदुषण, ध्वनि प्रदुषण, ऊष्मीय प्रदूषण, मिट्टी प्रदूषण और प्रकाश प्रदूषण। धीरे-धीरे विश्व की जनसंख्या बढती चली जा रही है जिसके कारण लोग घर बनाने के लिए वनों की कटाई ज़ोरों से कर रहे हैं। इन बीते 10-15 सालों में वनों की कटाई के कारण, पृथ्वी में कई प्रकार के खतरनाक गैसीय उत्सर्जन हुए हैं।
हम एक ऐसे सुन्दर ग्रह पृथ्वी में रहते हैं जो एक मात्र ऐसा ग्रह है जहाँ पर्यावरण और जीवन है। पर्यावरण को स्वच्छ रखने का एक ही सबसे बेहतरीन तरीके है पानी और वायु को स्वच्छ रखना। पर आज के दिन में मनुष्य इसके विपरीत सभी कार्य करने में लगा है जिसका सबसे बड़ा फल प्रदुषण हमारे आँखों के सामने है।
हमें इस बात को समझना होगा कि अगर हम पृथ्वी को बचाना चाहते हैं तो हमें कड़े कदम उठाने होगे जिससे कि हम अपने पर्यावरण दूषित होने से बचा सकें। बिना जल और वायु के पृथ्वी में जीवन का अंत हो जायेगा इसलिए इन चीजों का संतुलन बनाये रखना बहुत आवश्यक है।
पृथ्वी का जीवमंडल कई प्रकार के चीजों का एक मिश्रण है जैसे ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, कार्बन डाइऑक्साइड, आर्गन, और भाप। सभी जीवजंतुओं के लिए यह सभी चीजें बहुत ही जरूरी हैं। हमें पृथ्वी को सुन्दर, स्वच्छ और मानव के लिए एक बेहतर जीवन प्रदान करने के लिए पर्यावरण को नियम अनुसार रखना होगा। लेकिन जिस प्रकार मनुष्य प्रकृति के साथ खिलवाड़ करते चले जा रहा है इसकी आशा बहुत कम दिखाई देती है।
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