पर्यावरण पर शहरीकरण का प्रभाव | Paryaavaran Par Shahareekaran Ka Prabhaav
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शहरीकरण को विकास के प्रतीक के रूप में वर्णित किया जाता है । वास्तव में शहरीकरण वह प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत नगरों का अधिकतम विकास एवं विस्तार हो रहा है तथा आर्थिक क्रियाओं का केन्द्रीकरण हो रहा है ।
शहरीकरण का एक कारण जनसंख्या की तीव्र वृद्धि एवं नगरों में नियोजन की अधिक संभावनाओं के कारण उनमें जनसंख्या का केन्द्रीकरण होता जा रहा है, साथ ही उद्योग, परिवहन आदि का भी वहाँ अत्यधिक प्रभाव होता है, फलस्वरूप पर्यावरण पर उसका विपरीत प्रभाव पड़ता है ।
वास्तव में ग्रामीण अंचल जहाँ शुद्ध पर्यावरण का प्रतीक है वहीं नगरीय या शहरीकरण के साथ पर्यावरण प्रदूषण जुड़ गया है जो पारिस्थितिक-संकट का कारण बनता है । प्रारंभ में नगर छोटे थे, उनका विस्तार सीमित था और वहाँ संपादित होने वाली आर्थिक क्रियाओं की संख्या सीमित थी जिसके परिणामस्वरूप पर्यावरण को किसी प्रकार का संकट नहीं था ।
शहरीकरण का एक कारण जनसंख्या की तीव्र वृद्धि एवं नगरों में नियोजन की अधिक संभावनाओं के कारण उनमें जनसंख्या का केन्द्रीकरण होता जा रहा है, साथ ही उद्योग, परिवहन आदि का भी वहाँ अत्यधिक प्रभाव होता है, फलस्वरूप पर्यावरण पर उसका विपरीत प्रभाव पड़ता है ।
वास्तव में ग्रामीण अंचल जहाँ शुद्ध पर्यावरण का प्रतीक है वहीं नगरीय या शहरीकरण के साथ पर्यावरण प्रदूषण जुड़ गया है जो पारिस्थितिक-संकट का कारण बनता है । प्रारंभ में नगर छोटे थे, उनका विस्तार सीमित था और वहाँ संपादित होने वाली आर्थिक क्रियाओं की संख्या सीमित थी जिसके परिणामस्वरूप पर्यावरण को किसी प्रकार का संकट नहीं था ।
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