पर्यावरण- पर्यावरण शब्द परि + आवरण इन दो शब्दों का मेल है अर्थात् हमारे चारों ओर जो आवरण बना हुआ है,जिससे हम घिरे हुए हैं, उसी को पर्यावरण’ कहते हैं। इसमें पेड़-पौधे, जीव-जन्तु आदि जैविक तथा सभी अजैविक पदार्थ सम्मिलित होते हैं। अन्तर–पारितन्त्र में पर्यावरण के जैविक एवं अजैविक कारकों के अन्तर्सम्बन्धों की व्याख्या होती है। जबकि पर्यावरण में जैविक एवं अजैविक कारकों को अलग-अलग विश्लेषण किया जाता है।
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पर्यावरण और हम
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ईश्वर ने हम मानवों को बोहोत ही अच्छा पर्यावरण दिया जिसके द्वारा हम अपने जीवन को परिपूर्ण तरीके से जी सकते हैं। हमें अपने
पर्यावरण यानी हमारी धरती और पेड़ पौधे,जीव जंतुओं और जैविक और अजैविक पदार्थों की रक्षा करनी चाहिए।
हमें पेड़ों को कटने से रोकना होगा ताकि प्रकृति का संतुलन बना रहे।पक्षी और जानवर पेड़ों पर निर्भर हैं। जंगल उनका घर है।पेड़ पौधे ज़मीर के अंदर पानी को रोक रखते हैं इससे ज़मीन उपजाऊ बनी रहती है।यदि पेड़ पौधे कत दिए गए तो ज़मीन बंजर हो जाएगी।
आजकल मनुष्य बेहद लालची हो गया है।वो केवल अपनी जरूरतें पूरी करने में लगा है।चाहे इसके लिए उससे किसी जानवर को मारना पड़े।मनुष्य जानवरों कि हत्या करके उनके चमड़ी को बेचकर बोहोत पैसे कमाते हैं।यहां तक कि आजकल मनुष्य जानवरों को खा भी जाते हैं।
आजकल प्लास्टिक का बोहोत उपयोग होता है जबकि प्लास्टिक ऐसी धातु से बना है जो हमारे पर्यावरण के लिए बोहोत ही नुकसानदायक है।
हमें प्लास्टिक का उपयोग बंद केर देना चाहिए और कपड़े के बाग है उपयोग करने चाहिए