पर्यावरण- संरक्षण के संबंध में दो मित्रों के बीच संवाद लिखिए।
Answers
पर्यावरण संरक्षण के संबंध में दो मित्रो के बीच संवाद निम्न प्रकार से लिखा गया है।
- अखिल: कैसे हो निखिल , बहुत दिनों बाद मिले हो।
- निखिल : हां, मित्र अखिल, बहुत दिनों तक बीमार था, पंद्रह दिनों से घर पर ही विश्राम कर रहा था।
- अखिल: क्यों क्या हुआ था?
- निखिल : घर में सभी सदस्यों को एक एक करके सर्दी बुखार हुआ था, मुझे भी संक्रमण हो गया, प्रदूषण बहुत फैला है आजकल इस कारण लोग अक्सर बीमार पड़ रहे है।
- अखिल : हां, ये बात तुमने बिल्कुल ठीक कही परन्तु ये प्रदूषण भी तो हम लोगों की ही लापरवाही का नतीजा है ना।
- निखिल : हां, हम इंसानों ने उस धरती को रहने लायक ही नहीं छोड़ा है, हर जगह धुआं धुआं फैला रखा है, इस दूषित वातावरण में कोई सांस भी नहीं ले पा रहा, हमें पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए कुछ न कुछ करना चाहिए।
- अखिल : इसकी शुरुवात हम अपने आप से कर सकते है, क्यों न हम कॉलेज बाइक की जगह साइकिल कर जाए, हमें देखकर अन्य विद्यार्थी भी प्रेरित होंगे।
- निखिल: बहुत खूब ! मै अपने और मित्रों से भी बात करता हूं। मेरे पिताजी ने वैसे भी हमारी कोलोनी में पर्यावरण संरक्षण हेतु अभियान चलाया है। हमारी कॉलोनी में प्लास्टिक की थैलियों का बहिष्कार किया गया है, कोई भी बाज़ार जाता है तो घर से थैली लेकर जाता है। हम लोगों ने इस दीवाली पटाखे न जलाने का भी निश्चय किया है।
- अखिल: बहुत अच्छा काम कर रहे हो आप लोग, उस अभियान में मै भी तुम्हारे साथ हूं। कल हम फिर मिलकर इस कार्य को आगे बढ़ाने के संबंध में बात करेंगे। चलता हूं अब।
- निखिल: ठीक है।
अखिल: कैसे हो निखिल , बहुत दिनों बाद मिले हो।
निखिल : हां, मित्र अखिल, बहुत दिनों तक बीमार था, पंद्रह दिनों से घर पर ही विश्राम कर रहा था।
अखिल: क्यों क्या हुआ था?
निखिल : घर में सभी सदस्यों को एक एक करके सर्दी बुखार हुआ था, मुझे भी संक्रमण हो गया, प्रदूषण बहुत फैला है आजकल इस कारण लोग अक्सर बीमार पड़ रहे है।
अखिल : हां, ये बात तुमने बिल्कुल ठीक कही परन्तु ये प्रदूषण भी तो हम लोगों की ही लापरवाही का नतीजा है ना।
निखिल : हां, हम इंसानों ने उस धरती को रहने लायक ही नहीं छोड़ा है, हर जगह धुआं धुआं फैला रखा है, इस दूषित वातावरण में कोई सांस भी नहीं ले पा रहा, हमें पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए कुछ न कुछ करना चाहिए।
अखिल : इसकी शुरुवात हम अपने आप से कर सकते है, क्यों न हम कॉलेज बाइक की जगह साइकिल कर जाए, हमें देखकर अन्य विद्यार्थी भी प्रेरित होंगे।
निखिल: बहुत खूब ! मै अपने और मित्रों से भी बात करता हूं। मेरे पिताजी ने वैसे भी हमारी कोलोनी में पर्यावरण संरक्षण हेतु अभियान चलाया है। हमारी कॉलोनी में प्लास्टिक की थैलियों का बहिष्कार किया गया है, कोई भी बाज़ार जाता है तो घर से थैली लेकर जाता है। हम लोगों ने इस दीवाली पटाखे न जलाने का भी निश्चय किया है।
अखिल: बहुत अच्छा काम कर रहे हो आप लोग, उस अभियान में मै भी तुम्हारे साथ हूं। कल हम फिर मिलकर इस कार्य को आगे बढ़ाने के संबंध में बात करेंगे। चलता हूं अब।
निखिल: ठीक है