पर्यटन में वायु परिवहन की भूमिका का वर्णन बताइए
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पर्यटन विकास के लिए परिवहन वर्गीकरण। सखा (याकूतिया) गणराज्य में ऑटोमोबाइल, रेलवे, जल और वायु परिवहन के बुनियादी ढांचे का विश्लेषण। आउटबाउंड पर्यटन के लिए याकुतस्क में परिवहन बुनियादी ढांचे के प्रबंधन में सुधार।
आधुनिक पर्यटन, उसके सामाजिक और मानवीय चरित्र में सूचना और सेवाओं के लिए आवश्यकताएं। पर्यटन उद्योग के विकास के पूर्वानुमान। अंतर्राष्ट्रीय वायु परिवहन संगठन, लक्ष्य और गतिविधि के उद्देश्य। प्राथमिक सेवाओं के पर्यटन उद्यम।
इटली के परिवहन बुनियादी ढांचे और पर्यटन में इसकी भूमिका का सार। देश के पर्यटन केंद्रों के बीच संचार का विकास। वायु, रेल, सड़क और जल परिवहन के लक्षण। पर्यटकों को रोम, मिलान, फ्लोरेंस और रिमिनी तक पहुंचाया।
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वायु परिवहन जैसे तीवग्रामी साधन का महत्व भारत जैसे भौतिक दृष्टि से विविधतापूर्ण तथा विशाल देश में स्वतः स्पष्ट है। पश्चिमी देशों एवं दक्षिणी पूर्व एशिया के बीच संगम-स्थल की भांति स्थित इस देश को वायु परिवहन की दृष्टि से विश्व में केन्द्रीय स्थान प्राप्त है। यहाँ पर वायु परिवहन का प्रारम्भ 1911 में हुआ, जब इलाहाबाद से नैनी के बीच विश्व की सर्वप्रथम विमान डाक सेवा का परिवहन किया गया। 1933 में इण्डियन नेशनल एअरवेज कं. की स्थापना हुई, जिसने लाहौर से कराची के बीच विमान संचलन किया। 1935 में टाटा एअरवेज द्वारा मुम्बई-तिरुअनन्तपुरम तथा 1937 में इसी कम्पनी द्वारा मुम्बई-दिल्ली मार्ग पर विमान-सेवा प्रदान की गयी। स्वतन्त्रता प्राप्ति तक देश में 21 वायु-परिवहन कम्पनियाँ स्थापित हो चुकी थीं। 1953 में सभी वैमानिक कम्पनियों का राष्ट्रीयकरण करके उन्हें दो नवनिर्मित निगमों के अधीन कर दिया गया।