परचून कि दुकान पर बैठे लाला ने बूढ़ी स्त्री के बारे में क्या कहा?
In the chapter dukh ka adhikar
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परचून की दुकान पर बैठे लाला जी ने कहा, 'अरे भाई, उनके लिए मरे-जिए का कोई मतलब न हो, पर दूसरे के धर्म-ईमान का तो खयाल करना चाहिए! जवान बेटे के मरने पर तेरह दिन का सूतक होता है और वह यहाँ सड़क पर बाज़ार में आकर ख़रबूज़े बेचने बैठ गई है। ... कोई इसके ख़रबूज़े खा ले तो उसका ईमान- धर्म कैसे रहेगा? क्या
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