परछाई बनाने के लिए अवेलेबल पार्टी लिखिएhindi
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21 मार्च के बाद के दिनों में निरंतर गौर करें तो हम पाएंगे कि सूर्योदय का बिंदु धीरे-धीरे उत्तर की ओर खिसक रहा है और इस तरह 21 जून को ग्रीष्म अयनांत या कर्क संक्रांति के दिन सूर्योदय का केंद्र वास्तविक पूर्व दिशा से उत्तर की ओर अधिकतम बिंदु पर पहुंच जाता है। अगले दिन से सूर्य दक्षिण की ओर खिसकने लगता है, जिसे भारत में हम दक्षिणायण कहते हैं। दक्षिण की ओर अपनी इस यात्रा में 21 सितंबर को सूर्योदय का केंद्र एक बार फिर वास्तविक पूर्व दिशा में पहुंच जाता है। जबकि दक्षिण-पूर्व में अपने अधिकतम बिंदु पर यह 21 दिसंबर को पहुंचता है। इसके अगले दिन से पुन: उत्तरायण शुरू हो जाता है और यह क्रम इसी तरह चलता रहता है।
सूर्य भूमध्य रेखा से कर्क रेखा की ओर उत्तरायण में होता है तो उत्तरी गोलार्ध में सूर्य का प्रकाश अधिक और दक्षिणी गोलार्ध में कम पड़ता है। इस दौरान दक्षिणी गोलार्ध में कड़ाके की ठंड पड़ती और तभी अंटार्कटिका जाने के अभियान कुछ समय के लिए बंद कर दिए जाते हैं।