Hindi, asked by intelligent75, 1 year ago

paragraph on air pollution in Delhi in hindi ..plz fast​

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Answered by Raghuroxx
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दिल्ली में विकास के साथ-साथ इससे जुड़ी कुछ मूलभूत समस्याएँ मसलन आवास, यातायात, पानी बिजली इत्यादि भी उत्पन्न हुई। नगर में वाणिज्य, उद्योग, गैर-कानूनी बस्तियों, अनियोजित आवास आदि का प्रबंध मुश्किल हो गया। विश्व स्वास्थ्य संगठन की 1989 की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली का प्रदूषण के मामले में विश्व में चौथा स्थान है। दिल्ली में 30 प्रतिशत वायु प्रदूषण औद्योगिक इकाइयों के कारण है, जबकि 70 प्रतिशत वाहनों के कारण है। खुले स्थान और हरे क्षेत्र की कमी के कारण यहाँ की हवा साँस और फेफड़े से सम्बन्धित बीमारियों को बढ़ाती है। इस समस्या से छुटकारा पाना सरल नहीं है। इस क्षेत्र में सरकार, न्यायालय स्वायत्त संस्थाएँ और पर्यावरण चिन्तक आगे आए हैं। इनके साझा सहयोग से प्रदूषण की मात्रा में कुछ कमी तो आई है परन्तु इसके लिए आम जनता के रचनात्मक सहयोग की सबसे अधिक आवश्यकता है।

उच्चतम न्यायालय ने एम.सी. मेहता बनाम भारत सरकार और अन्य के मामले में जुलाई 1996 में औद्योगिक इकाइयों के प्रदूषण सम्बन्धी मामले पर फैसला सुनाया। इस फैसले में कहा गया कि 30 नवम्बर 1996 से सूचीबद्ध 168 औद्योगिक इकाइयों को बंद कर दिया जाए और उनके कार्य को रोका जाए। न्यायालय ने अपना फैसला दिल्ली के मास्टर प्लान 2001 से सम्बन्धित एनेक्सचर (1)एच(ए) और (बी) के प्रावधानों के आधार पर दिया। इस प्रावधान में कहा गया है कि -

1. प्रदूषण की दृष्टि से खतरनाक और हानिकारक उद्योगों को दिल्ली में परमिट नहीं दिया जाए।

2. ऐसे उद्योगों को प्राथमिकता के आधार पर 3 वर्षों के अन्दर अन्यत्र स्थापित किया जाए।

3. दिल्ली प्रशासन खतरनाक उद्योगों की एक सूची बनाकर उनके खिलाफ कारवाई करे।

4. नए भारी एवं बड़े उद्योगों को परमिट नहीं दिया जाए।

5. भारी एवं बड़े उद्योगों को अन्यत्र स्थापित किया जाए।

6. भारी एवं बड़े उद्योगों के आधुनिकीकरण के विषय पर निम्न स्थिति में परमिट दिया जाए-

(क) यदि वे उद्योग प्रदूषण फैलाए और यातायात गतिरोध को कम करें।

(ख) इसके बाद यदि कोई उद्योग स्थानांतरित होना चाहता है तो उसे किसी प्रकार का मुआवजा नहीं दिया जाए।

उच्चतम न्यायालय ने एम.सी. मेहता बनाम भारत सरकार और अन्य के वाहन प्रदूषण से सम्बन्धित मामले पर फैसला 28 जुलाई 1998 को दिया। इस फैसले में श्री भूरेलाल समिति की सिफारिशों को लागू करने का आदेश दिया गया है। इस समिति की सिफारिशों में कहा गया है किः-

1. 2 अक्टूबर 98 से 15 वर्ष से अधिक पुराने व्यावसायिक वाहनों के दिल्ली की सड़कों पर चलने पर प्रतिबंध लगा दिया जाए। (ये आदेश उक्त तारीख से लागू हो चुका है।)

2. 15 अगस्त, 1998 से मालवाहक वाहनों का दिन में शहर चलना निषिद्ध होगा।

3. 31 दिसम्बर, 1998 से पूर्व-मिश्रित आयल के वितरण का विस्तार किया जाए।

(क) एक अप्रैल, 2001 तक सार्वजनिक यातायात व्यवस्था के अन्तर्गत बसों की संख्या 10,000 करना।

(ख) एक सितम्बर, 1998 से पट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मन्त्रालय द्वारा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में सीसायुक्त पेट्रोल के इस्तेमाल को पूरी तरह बंद किया जाए। (ये आदेश उक्त तारीख से लागू हो चुका है।)

(ग) 31 दिसम्बर, 1998 से टू ईंजन वाले वाहनों को सभी पेट्रोल-पम्पों पर प्री-मिक्स पेट्रोल वितरित किया जाए।

(घ) 31 मार्च, 2000 तक 1990 से पहले के सभी आटो और टैक्सियों को बदला जाए।

(ङ) 31 मार्च, 2001 तक 1990 से पहले के सभी आटो और टैक्सियों को बदलने के लिए आर्थिक सहायता दी जाए।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में पर्यावरण के प्रति किए गए अपराधों की संज्ञेयता लेने के लिए एक विशेष न्यायालय का गठन किया गया है।

पर्यावरण संरक्षण अधिनियम की धारा 4 के अन्तर्गत राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में पर्यावरण संरक्षण सम्बन्धी मामलों के लिए विशेष सब डिवीजन मजिस्ट्रेट की नियुक्ति एवं इसे समुचित अधिकार प्रदत्त कराने का प्रावधान किया गया है।

- वैकल्पिक ईंधन जैसे सी.ए.जी. (संपीड़ित प्राकृतिक गैस) के प्रयोग को बढ़ावा देने हेतु तिपहियों के अनुरूपांतरण के लिए जरूरी किटों के आयात एवं उत्पाद शुल्क की दरों में छूट दी जाएगी।

- दिल्ली में कुछ क्षेत्रों को अति प्रदूशित क्षेत्र घोषित किया जाएगा और ऐसे इलाकों में सप्ताह में एक दिन वाहन मुक्त दिवस मनाया जाएगा।

- फ्लाई ऐश के कारण होने वाले नुकसान को कम करने के लिए इनके उपयोग से ईंटे बनाई जाएँगी। इसको प्रोत्साहित करने के लिए दिल्ली सरकार और दिल्ली विकास प्राधिकरण अनिवार्य भूमि उपलब्ध कराएगा।

- पर्यावरण सम्बन्धी कार्यक्रमों के प्रति जागरुकता पैदा करने के लिए विद्यालयों के पाठ्यक्रमों में पर्यावरण विषय को शामिल किया जाएगा। साथ ही समाज के लिए लाभप्रद रचनात्मक कार्ययोजना के तहत विद्यार्थियों को सामूहिक कार्य के माध्यम से अपने समुदाय एवं आस-पास के पर्यावरण में सुधार के लिए प्रेरित करने के कार्यक्रम चलाए जाएँगे।

दिल्ली जैसे महानगर को प्रदूषण-मुक्त क्षेत्र बनाने के लिए सबसे अधिक आवश्यकता है एक सार्वजनिक यातायात व्यवस्था बनाने की, ताकि आम आदमी अपने वाहनों के उपयोग की बजाय सार्वजनिक यातायात की ओर आकृष्ट हो। व्यक्तिगत वाहनों का उपयोग कम से कम करें या फिर नहीं करें। आज विश्व के अधिकांश विकसित देशों में ऐसी व्यवस्था काफी समय से प्रचलन में है। परिणामतः उन देशों में प्रदूषण की समस्या भी कम है। यदि सार्वजनिक यातायात साधन की समुचित व्यवस्था हो और सुचारू रूप से परिचालन किया जाए तो धीरे-धीरे एक संस्कृति विकसित हो जाएगी।

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