paragraph on bheem of mahabharat
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भारत के पौराणिक ग्रंथों में से महाभारत ग्रंथ में बहुत से पात्र है। उनमें से एक पात्र है भीम। महाभारत के अनुसार भीम पांच पाण्डवों में द्वितीय स्थान पर थे। भीम को उनकी माता कुन्ती ने पवन देव से वरदान के स्वरूप प्राप्त किया था। इसलिए भीम को पवनपुत्र भी कहाँ जाता है। कहते है भीम में दस हजार हाथियों जितना बल था। सभी पाण्डवों में भीम सर्वाधिक शक्तिशाली तथा बलशाली थे। द्रौपदी के अलावा भीम की एक और पत्नी थी, जिसका नाम हिडिंबा था। हिडिंबा से हुए पुत्र का नाम घटोत्कच था जिसने महाभारत के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
भीम गदा युद्ध में प्रवीण थे और उन्होंने श्रीकृष्ण भगवान के भाई बलराम के शिष्य बनकर गदा युद्ध सीखा था। अपने वनवास काल में उन्होंने अनेक राक्षसों का वध किया था जिसमें बकासुर तथा हिडिंब जैसे राक्षसों का नाम शामिल है। अज्ञातवास में भीम ने अपनी पत्नी द्रौपदी की रक्षा के लिए, विराट के महाराज के साले कीचक का भी वध किया था। भीम ने महाभारत के युद्ध में द्रौपदी का चीरहरण का बदला लेने के लिए दुःशासन की छाती फाड़ कर उसका रक्त पिया था। दुर्योधन के जांघों पर गदा से प्रहार करके भीम ने ही दुर्योधन का वध किया था। न सिर्फ दुर्योधन दुःशासन, बल्कि सभी कौरव भाइयों का वध भीम ने ही किया था।