paragraph on car crash and children in the farm playing with snails also there is a scarecrow both in about 30-40 words in HINDI
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पिछले शनिवार को हमारे स्कूल में छुट्टी थी । उस दिन मौसम बड़ा सुहावना था । आसमान बादलों से ढका हुआ था । ठंडी-ठंडी हवा चल रही थी । मैंने इस सुहावने मौसम में अपने दो मित्रो हरी और रवि के सामने नदी के किनारे घूमने और मौसम आनन्द उठाने का प्ररताव रखा । दोनों ही ने बड़ी प्रसन्नता से मेरा सुझाव मान लिया और हम तीनों नदी तट की ओर चल दिये ।
नदी तट का दृश्य:
हम आधा घंटे मे टहलते हुए नदी तट पर पहुच गये । वही हमने पुरुष, स्त्रिएयो और बच्चों की भीड़ देखी । कुछ लोग नदी में तैर रहे थे, कुछ नहा रहे थे और कुछ नदी तट पर बहती लहरों के कल्लोल का आनंद ले रहे थे । कुछ लोग नदी तट पर बालू में खेल रहे थे ।
हम तीनों भी कुछ देर आनन्द उठाते रहे । हम अपने साथ कुछ फल और मिठाइयां लाये थे । थोडी देर खेलने के बाद हमने फल और मिठाई खाकर नदी का पानी पिया । इसके बाद गाना गाते, हंसते-खेलते हम नदी के किनारे मटरगश्ती करते रहे । हम घाट की भीड़भाड़ से कुछ दूर तक निकल गये ।
नदी पार करने का निर्णय:
एकाएक रवि ने सुझाव दिया कि हम नदी में छलांग लगाकर तैर कर दूसरे किनारे तक जायें । मैं व रवि अच्छे तैराक है, लेकिन हरी अच्छा तैराक नहीं है । अत: हमने हरी को सुझाव दिया कि वह नदी के किनारे ही कुछ दूर तैर कर तट पर वापस चला जाये ।
हरी ने कुछ ना-नुकर करके मेरा सुझाव मंजूर कर लिया । हम लोगों ने अपने कपड़े उतारके कर तट पर रख दिये और नदी में कूद पड़े । हरी किनारे पर ही नहाने लगा और हम दोनों नदी की धारा काटते हुए तेजी से दूसरे किनारे की ओर बढ़ चले । मैं रवि से कुछ आगे था । थोड़ी ही देर में हम बीच धारा में पहुँच गये ।
हरी का भी नदी में आगे बढ़ना:
कुछ देर तक हरी हमें नदी में आगे बढ़ते देखता रहा । अधिक देर तक नदी मे आगे बढ़ने के प्रभोलन को वह न रोक पाया । उसे न हमारी बात याद रही और न अपनी कमजोरी पर ही उसने ध्यान दिया । प्रतिद्वन्हिता की भावना से प्रेरित होकर वह भी आगे बढ़ चला ।
उसने बड़ी तेजी से हाथ-पैर मारने शुरू कर दिये और यह कोशिश करने लगा कि वह हमारे बराबर आ जाये । कुछ देर तक तो वह तेजी से आगे बढ़ा । लेकिन शीघ्र ही नदी की तेज धार में वह ठहर न सका । उसका दम भी शीघ्र ही फूल गया । उसका साहस छूटने लगा । जब वह डूबने लगा, तो सहायता के लिए चिल्लाया ।
हम उससे बहुत आगे थे, इसलिए उसकी पुकार हम तक नहीं पहुंची । वह घाट से भी काफी दूर था, इसलिए अन्य किसी व्यक्ति को भी उसकी पुकार नहीं सुनाई दी । अब बेचारा हरी नदी की लहरों के साथ ऊमर नीचे होने लगा । उसकी समूची ताकत चूक गई थी और अब वह लहरों की दया पर था ।
नदी तट का दृश्य:
हम आधा घंटे मे टहलते हुए नदी तट पर पहुच गये । वही हमने पुरुष, स्त्रिएयो और बच्चों की भीड़ देखी । कुछ लोग नदी में तैर रहे थे, कुछ नहा रहे थे और कुछ नदी तट पर बहती लहरों के कल्लोल का आनंद ले रहे थे । कुछ लोग नदी तट पर बालू में खेल रहे थे ।
हम तीनों भी कुछ देर आनन्द उठाते रहे । हम अपने साथ कुछ फल और मिठाइयां लाये थे । थोडी देर खेलने के बाद हमने फल और मिठाई खाकर नदी का पानी पिया । इसके बाद गाना गाते, हंसते-खेलते हम नदी के किनारे मटरगश्ती करते रहे । हम घाट की भीड़भाड़ से कुछ दूर तक निकल गये ।
नदी पार करने का निर्णय:
एकाएक रवि ने सुझाव दिया कि हम नदी में छलांग लगाकर तैर कर दूसरे किनारे तक जायें । मैं व रवि अच्छे तैराक है, लेकिन हरी अच्छा तैराक नहीं है । अत: हमने हरी को सुझाव दिया कि वह नदी के किनारे ही कुछ दूर तैर कर तट पर वापस चला जाये ।
हरी ने कुछ ना-नुकर करके मेरा सुझाव मंजूर कर लिया । हम लोगों ने अपने कपड़े उतारके कर तट पर रख दिये और नदी में कूद पड़े । हरी किनारे पर ही नहाने लगा और हम दोनों नदी की धारा काटते हुए तेजी से दूसरे किनारे की ओर बढ़ चले । मैं रवि से कुछ आगे था । थोड़ी ही देर में हम बीच धारा में पहुँच गये ।
हरी का भी नदी में आगे बढ़ना:
कुछ देर तक हरी हमें नदी में आगे बढ़ते देखता रहा । अधिक देर तक नदी मे आगे बढ़ने के प्रभोलन को वह न रोक पाया । उसे न हमारी बात याद रही और न अपनी कमजोरी पर ही उसने ध्यान दिया । प्रतिद्वन्हिता की भावना से प्रेरित होकर वह भी आगे बढ़ चला ।
उसने बड़ी तेजी से हाथ-पैर मारने शुरू कर दिये और यह कोशिश करने लगा कि वह हमारे बराबर आ जाये । कुछ देर तक तो वह तेजी से आगे बढ़ा । लेकिन शीघ्र ही नदी की तेज धार में वह ठहर न सका । उसका दम भी शीघ्र ही फूल गया । उसका साहस छूटने लगा । जब वह डूबने लगा, तो सहायता के लिए चिल्लाया ।
हम उससे बहुत आगे थे, इसलिए उसकी पुकार हम तक नहीं पहुंची । वह घाट से भी काफी दूर था, इसलिए अन्य किसी व्यक्ति को भी उसकी पुकार नहीं सुनाई दी । अब बेचारा हरी नदी की लहरों के साथ ऊमर नीचे होने लगा । उसकी समूची ताकत चूक गई थी और अब वह लहरों की दया पर था ।
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