Paragraph on Internet ka durupyog in Hindi ( words 100 - 120 )
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चूंकि इंटरनेट मनोरंजन के प्रचुर स्रोत प्रदान करता है इसलिए इसका विरोध करना कठिन है। कई छात्र इंटरनेट पर विभिन्न प्रकार के वीडियो देखते हैं या मनोरंजक उद्देश्य के लिए ऑनलाइन गेम खेलते हैं पर वे जल्द ही इसके आदी हो जाते हैं और अपना समय इंटरनेट पर कुछ देखने/खेलने पर खर्च करते रहते हैं। यह समय की बहुत बड़ी बर्बादी है।
Answer:-
सामग्री - (Content)
i. प्रस्तावना
ii. इंटरनेट का अर्थ
iii. इंटरनेट का इतिहास एवं आविष्कार
iv.इंटरनेट से सम्बद्धत्ता के स्तर
v. इंटरनेट का महत्त्व
vi. इंटरनेट का उपयोग
vii. इंटरनेट के लाभ
viii. इंटरनेट की हानियाँ
ix. उपसंहार
प्रस्तावना:-
‘इंटरनेट’ शब्द को आज सभी लोग जानते हैं। बच्चे हों या बड़े सभी लोग इसका प्रयोग करना अच्छी तरह से जानते हैं। अगर सही अर्थों में देखा जाए तो आज इंटरनेट हम सभी के लिए जीने की वजह बन चुका है। इंटरनेट ने आज हमारी बहुत सी मुश्किलों को आसान कर दिया है जिसकी वजह से हमें हर काम बहुत आसान लगता है।
100 साल पहले किसी ने भी यह नहीं सोचा होगा कि इंसान खुद ही किसी ऐसी चीज़ की रचना कर देगा, जिससे दुनिया की तमाम सारी जानकारी एक ही स्थान पर बहुत ही आसानी से मिल जाएगी और दुनिया के लगभग सभी देश आपस में जुड़े होंगे।.
इंटरनेट हमारे आज के जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण हो गया है। आज के समय में इंटरनेट दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे लोकप्रिय नेटवर्क बन चुका है। इंटरनेट को आधुनिक और उच्च तकनीकी विज्ञान का आविष्कार भी माना जाता है। दुनिया भर के सभी नेटवर्क इंटरनेट से जुड़े हुए हैं इस तरह से हम इसे नेटवर्कों का नेटवर्क भी कह सकते हैं।
.इंटरनेट का अर्थ :-
के क्इंटरनेटआई. टीषेत्र में क्रांति लाने वाला विश्व का सबसे बलशाली और सबसे बड़ा नेटवर्क है। इसे संक्षिप्त में नेट भी कहा जाता है क्योंकि इंटरनेट एक दूसरे से जुड़े बहुत सारे कम्प्यूटरों का जाल है जो कि उपग्रहों, केवल तंतु प्रणालियों, एल.ए.एन, और वी.ए.एन प्रणालियों तथा टेलीफोनों के जरिए सम्पूर्ण विश्व के करोड़ों कम्प्यूटर्स एवं उपनेटवर्क्स को आपस में जोड़ता है।
दूसरे शब्दों में कहे तो संसाधनों को साँझा करने अथवा सूचनाओं का आदान प्रदान करने के लिए टी.सी.पी/आई.पी प्रोटोकॉल के द्वारा दो अथवा कई कम्प्यूटर्स को एक साथ जोड़कर अंत:सम्बन्ध स्थापित करने की प्रक्रिया को इंटरनेट कहते हैं तथा इनके बीच की साँझा करने की प्रकिया को कंप्यूटर नेटवर्क्स कहते है। कंप्यूटर नेटवर्क्स के अनेकों रूप हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख है एल.ए.एन, इंटरनेट एवं इंट्रानेट।
इंटरनेट का इतिहास एवं आविष्कार:-
पहले के समय में जब लोगों के पास इंटरनेट की सुविधा नही थी, तो उन्हें कई प्रकार के सामान्य कार्यों के लिये भी कई घंटों तक लाइनों में लगे रहना पड़ता था जैसे रेलवे का टिकट लेने, बिजली का बिल जमा करने तथा आवेदन पत्र जमा करने जैसे कार्यों के लिए काफी दिकक्तों का सामना करना पड़ता था। लेकिन आधुनिक समय में लोग बस एक क्लिक से टिकट की बुकिंग कर सकते हैं, साथ ही एक सॉफ्ट कॉपी अपने मोबाईल फोन में भी रख सकते हैं।
इंटरनेट अपने आप में कोई अविष्कार नहीं है। इंटरनेट टेलीफोन, कंप्यूटर व दूसरी तकनीक को इस्तेमाल करके बनाया गया एक ऐसा जाल है जिसमें सूचना व तकनीक का साँझा उपयोग किया गया है।
1969 में टिम बर्नर्स ली ने इंटरनेट का आविष्कार किया। इसे सबसे पहले सन् 1969 में अमेरिका के प्रतिरक्षा विभाग द्वारा एडवांस रिसर्च प्रोजेक्ट एजेंसी नेटवर्क के गुप्त आंकड़ों और सूचनाओं को दूर दराज़ के विभिन्न राज्यों तक भेजने व प्राप्त करने में लाया गया था। हमारे भारत देश में इंटरनेट 1980 के दशक में आया था।
इंटरनेट के सुगम इस्तेमाल को एप्पल नाम की कंपनी ने सन् 1984 में कंप्यूटर में फाइल फोल्डर और ग्राफिक्स का इस्तेमाल किया जिसके कारण आज इंटरनेट चलाना बहुत आसान है अगर एप्पल कंपनी नहीं होती तो आज भी हमें कोडिंग करके ही इंटरनेट का इस्तेमाल करना पड़ता।
कंप्यूटर का विकास होने के बाद उनमें जमा आंकड़ों और सूचनाओं के आदान-प्रदान की आवश्यकता अनुभव की गयी और इसी अनुभव ने विभिन्न विश्वविद्यालयों, सरकार द्वार प्रायोजित कंप्यूटर नेटवर्क तथा शोध व शिक्षा के लिए इंटरनेट का विकास किया गया। धीरे-धीरे इंटरनेट के विकास के साथ इसके फायदे और महत्त्व हर क्षेत्र में दिखाई देने लगे और यह तकनीक पूरी दुनिया में इंटरनेट क्रांति के रूप में फैल गया।
इंटरनेट की दुनिया में, यह कोई ज़रुरी नहीं है कि कोई व्यक्ति अपने व्यापारिक या निजी मुलाकात के लिए घंटों यात्रा करके किसी स्थान पर जाए। आज के समय में हम वीडियों कॉन्फ्रेंस, कॉलिंग, स्काईप या दूसरे तरीकों से अपनी जगह पर रह कर ही किसी भी व्यापारिक या निजी बैठक का हिस्सा बन सकते हैं।
इंटरनेट के प्रारंभिक चरण में इसकी स्पीड के.बी.पी.एस में होती थी, फिर धीरे-धीरे एम.बी.पी.एस और अब जी.बी.पी.एस में इसकी स्पीड होती है, जो की बहुत तेज़ी से सूचनाओं का आदान-प्रदान करने में काम करती है।
इंटरनेट से सम्बद्धत्ता के स्तर:-
इंटरनेट को देखने और उससे सूचना एकत्रित करने के कार्य को सर्फिंग (Surfing) कहते है। वैसे तो सर्फिंग करने का तरीका कठिन नहीं है परन्तु सूचनाएँ इंटरनेट पर प्रविष्ट करने के लिए सॉफ्टवेयर बनाने की आवश्यकता होती है, लेकिन सॉफ्टवेयर बनाना काफी कठिन कार्य है।
इंटरनेट की अपनी एक दुनिया है और इस दुनिया से सम्बद्धता (Connectivity) करने के तीन स्तर होते हैं।
प्रथम स्तर पर उपभोक्ता केवल इंटरनेट पर सूचनाएँ या जानकारी देख सकता है।
द्वितीय स्तर पर उपभोक्ता इंटरनेट का एक आंशिक भाग बन जाता है और सूचनायें एकत्रित करने के अलावा वह अपनी वेबसाइट भी बना सकता है।
तृतीय स्तर पर उपभोक्ता स्वयं इंटरनेट प्रणाली का मुख्य हिस्सा बन जाता ह|
Explanation:-
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