paragraph on parishram karo safalta pao
Answers
Answered by
177
परिश्रम वह कुंजी है जो सफलता के द्वार खोलती है| इतिहास गवाह है कि बिना परिश्रम किये आज तक कोई ऊंचाई पर नहीं पंहुचा है| महान वैज्ञानिक कलाम साहब, हरगोविंद खुराना, जे सी बोस, रमन आदि हो या मशहूर खिलाडी मेजर ध्यानचंद, सचिन तेंदुलकर, विश्वनाथन आनंद, सायना नेहवाल; इन सभी की सफलता का राज कठिन परिश्रम और सतत अभ्यास है| इस शीर्ष तक पहुचने के लिए उन्होंने निजी स्वार्थ और भौतिकतावाद का त्याग किया तब वो देश को ये सम्मान दिला पाए और स्वयं एक मिसाल बने| प्रसिद्ध कविता है “कोशिश करने वालों की हार नहीं होती|” एक चीटी तक प्रयास नहीं छोडती| कभी निराश नहीं होती, थकती नहीं तो हम तो मनुष्य है जिन्हें ईश्वर ने बुद्धि प्रदान करके सबसे श्रेष्ठ बनाया है| प्रसिद्ध लेखक शिव खेडा ने लिखा है कि जीतने वाले कोई अलग काम नहीं करते, वे उसी काम को अलग ढंग से करते है| उदाहरण के लिए परीक्षा में लाखों विद्यार्थी बैठते है पर टॉप इने-गिने ही करते हैं| पाठ्यक्रम और पुस्तकें सभी की एक जैसी है पर परिश्रम परिणाम बदल देती है| जो नियमित अभ्यास करता है, रात- दिन मेहनत करता है वही सफलता का वरण करता है या कहें कि सफलता उसे चुनती है| ‘करत-करत अभ्यास के जडमति होत सुजान’ ये उक्ति उनके लिए प्रेरणास्त्रोत है जो स्वयं अपने भाग्य निर्धारक होते है| अत: सभी को ये स्मरण रखना चाहिए कि मेहनत सफल होने का प्रथम सोपान भी है और भावी निर्धारक भी|
Answered by
147
परिश्रम का हमारे जीवन में बहुत महत्त्व है। मनुष्य परिश्रम के द्वारा कठिन से कठिन कार्य सिद्ध कर सकता है। परिश्रम अर्थात मेहनत के ही द्वारा मनुष्य अपना लक्ष्य प्राप्त कर सकता है। कोई भी कार्य केवल हमारी इक्षा मात्र से ही नहीं सिद्ध होता है, उसके लिये हमें कठिन परिश्रम का सहारा लेना पड़ता है।परिश्रम के ही बल पर मनुष्य अपना भाग्य बना सकता है। परिश्रम केवल अकेले मनुष्य के लिये ही नहीं लाभदायक होता है। हम देख सकते हैं, कि जिस देश के लोग परिश्रमी होते हैं, वह पूरा देश तरक्की प्राप्त करता है। अमरीका, चीन, रूस और जापान, इसके उदहरण हैं। छात्रों के जीवन में तो परिश्रम का बहुत अधिक महत्त्व होता है। हम देख सकते हैं कि परीक्षा में वे ही छात्र सफ़ल होते हैं जो परिश्रमी होते हैं। प्राचीन ग्रंथ, महाभारत में भी गुरू द्रोण का शिश्य अर्जुन, कठिन परिश्रम के ही द्वारा सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर बन सका। भारत देश की स्वतंत्रता भी गांधी जी और नेहरू जी जैसे महापुरुषों के परिश्रम का फल है।कुछ लोग सफ़लता का राज़, परिश्रम की जगह भाग्य को मानते हैं। उनका कहना होता है, कि भाग्य में जो लिखा होता है, उसे टाला नहीं जा सकता। यह बात असत्य है। मनुष्य यदि परिश्रम करे, तो होनी को भी टाल सकता है। किसी ने सत्य ही कहा है, कि परिश्रम ही सफ़लता की कुंजी है।
Similar questions