Paragraph on pracritik aapada
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Hey mate here is your answer...
मूसलाधार बारिश ने मध्य प्रदेश का हाल, बेहाल कर दिया है. इस वजह से राज्य की राजधानी भोपाल जलमग्न है. देखा जाए तो जनता पूरी तरह से अस्त-व्यस्त है. इसे हम और आप भले ही कुदरती प्रकोप कह सकते हैं, मगर एक हक़ीकत ये भी है कि ये हमारी अपनी करतूत है. बाढ़ आने से पानी तो आ सकता है, लेकिन निकासी की व्यवस्था न होने की वजह से शहर का माहौल त्राहिमाम-त्राहिमाम हो गया है. विकास की आड़ में हम प्रकृति का नुकसान तो कर ही रहे हैं, साथ ही साथ अपना भी नुकसान कर रहे हैं. शहर को सुंदर बनाने की साजिश में हमने न जाने ऐसे कितने काम कर दिए, जिसका नतीजा बाढ़ के रूप में देखने को मिल रहा है.
कुदरत हर पहलू को बड़ी गंभीरता के साथ जांचती है और देखती रहती है कि समाज किस हद तक बेवकूफियां कर सकता है. यूं तो भोपाल को झीलों का शहर कहा जाता है. यहां 16 झीलें हैं, फिर भी यह शहर पूरी तरह से जलमग्न है. कुछ दिन पहले हम सब मध्यप्रदेश में सूखे के संकट पर बहस कर रहे थे और 11 जुलाई 2016 से यही क्षेत्र बाढ़ की चपेट में है. संकट है, विषम परिस्थितियां भी, लोग परेशान भी हैं, मगर सबसे दुख की बात ये है कि हम ऐसे संकटों से सबक नहीं लेंगे. ऐसा नहीं है कि भोपाल का जलमग्न होना महज़ एक संयोग था. यह एक ऐसी गलती है, जो हम मानवों द्वारा स्वनिर्मित है. एक वाक्य में यह भी कहा जा सकता है कि अपनी तबाही के लिए हम एक ख़ूबसूरत दुनिया तैयार कर रहे हैं.
Hope it helps you......!☺️☺️
मूसलाधार बारिश ने मध्य प्रदेश का हाल, बेहाल कर दिया है. इस वजह से राज्य की राजधानी भोपाल जलमग्न है. देखा जाए तो जनता पूरी तरह से अस्त-व्यस्त है. इसे हम और आप भले ही कुदरती प्रकोप कह सकते हैं, मगर एक हक़ीकत ये भी है कि ये हमारी अपनी करतूत है. बाढ़ आने से पानी तो आ सकता है, लेकिन निकासी की व्यवस्था न होने की वजह से शहर का माहौल त्राहिमाम-त्राहिमाम हो गया है. विकास की आड़ में हम प्रकृति का नुकसान तो कर ही रहे हैं, साथ ही साथ अपना भी नुकसान कर रहे हैं. शहर को सुंदर बनाने की साजिश में हमने न जाने ऐसे कितने काम कर दिए, जिसका नतीजा बाढ़ के रूप में देखने को मिल रहा है.
कुदरत हर पहलू को बड़ी गंभीरता के साथ जांचती है और देखती रहती है कि समाज किस हद तक बेवकूफियां कर सकता है. यूं तो भोपाल को झीलों का शहर कहा जाता है. यहां 16 झीलें हैं, फिर भी यह शहर पूरी तरह से जलमग्न है. कुछ दिन पहले हम सब मध्यप्रदेश में सूखे के संकट पर बहस कर रहे थे और 11 जुलाई 2016 से यही क्षेत्र बाढ़ की चपेट में है. संकट है, विषम परिस्थितियां भी, लोग परेशान भी हैं, मगर सबसे दुख की बात ये है कि हम ऐसे संकटों से सबक नहीं लेंगे. ऐसा नहीं है कि भोपाल का जलमग्न होना महज़ एक संयोग था. यह एक ऐसी गलती है, जो हम मानवों द्वारा स्वनिर्मित है. एक वाक्य में यह भी कहा जा सकता है कि अपनी तबाही के लिए हम एक ख़ूबसूरत दुनिया तैयार कर रहे हैं.
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Sampada1021:
Thanks a ton bro
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